Ganesh Chaturthi 2021: गणपति बप्पा को कभी नहीं करना चाहिये विदा

Ganesh Chaturthi 2021: विघ्न हरता ही अगर विदा हो गये तुम्हारे विघ्न कौन हरेगा। क्या कभी सोचा है गणेश प्रतिमा का विसर्जन क्यों?   अधिकतर लोग एक दूसरे की देखा देखी गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर रहे हैं, और 3 या 5 या 7 या 11 दिन की पूजा के उपरांत उनका विसर्जन भी करेंगे।

आप सब से निवेदन है कि आप गणपति की स्थापना करें पर विसर्जन नहीं विसर्जन केवल महाराष्ट्र (Maharashtra) में ही होता हैं क्योंकि गणपति वहाँ एक मेहमान बनकर गये थे, वहाँ लाल बाग के राजा कार्तिकेय (Kartikeya) ने अपने भाई गणेश जी को अपने यहाँ बुलाया और कुछ दिन वहाँ रहने का आग्रह किया था। जितने दिन गणेश जी वहां रहे उतने दिन माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) और उनकी पत्नी रिद्धि व सिद्धि (Riddhi and Siddhi) वहीं रही इनके रहने से लाल बाग धन धान्य से परिपूर्ण हो गया तो कार्तिकेय जी ने उतने दिन का गणेश जी को लालबाग का राजा मानकर सम्मान दिया यही पूजन गणपति उत्सव (Ganpati Festival) के रूप में मनाया जाने लगा।

अब रही बात देश की अन्य स्थानों की तो गणेश जी हमारे घर के मालिक हैं और घर के मालिक को कभी विदा नही करते। वहीं अगर हम गणपति जी का विसर्जन करते हैं तो उनके साथ लक्ष्मी जी व रिद्धि सिद्धि भी चली जायेगी तो जीवन मे बचा ही क्या।

हम बड़े शौक से कहते हैं गणपति बाप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ इसका मतलब हमने एक वर्ष के लिये गणेश जी लक्ष्मी जी आदि को जबरदस्ती पानी मे बहा दिया तो आप खुद सोचो कि आप किस प्रकार से नवरात्रि पूजा करोगे, किस प्रकार दीपावली पूजन (Diwali Pujan) करोगे और क्या किसी भी शुभ कार्य को करने का अधिकार रखते हो जब आपने उन्हें एक वर्ष के लिए भेज दिया।

इसलिए गणेश जी की स्थापना करें पर विसर्जन कभी न करे।

करबद्ध निवेदन

श्री गणेश चतुर्थी पर गणपति जी की पारंपरिक मूर्ति (Traditional Idol) ख़रीदे, जिसमे गणेश जी के मूल स्वरुप की प्रतिकृति हो, ऋद्धि-सिद्धि विद्यमान हो। बाहुबली गणेश, सेल्फ़ी लेते हुए, स्कूटर चलाते हुए, ऑटो चलाते हुए, बॉडी बिल्डर, बाहुबली, सिक्स पैक या अन्य किसी तरह के अभद्र स्वरुप में गणेश जी को बिठाने का कोई औचित्य नहीं है सनातन धर्म की हँसी उड़ाई जा रही है। अपने धर्म का मज़ाक न उड़ायें। सभी से निवेदन है समझदारी का परिचय देवे, और सही गणेश जी की प्रतिमा का स्थापना करे।

ओम एकदंताय नमो नमः

साभार- अमित टंडन

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