गर्भ (Garbh) में एक सुंदर आत्मा को पोषित करने की भावनायें सबसे अनमोल है, जो महिलाओं द्वारा ही महसूस की जाती है। गर्भधारण (Pregnancy) करना बच्चे को जन्म देना महिलाओं के लिए सर्वशक्तिमानता का उपहार है। प्रेग्नेंसी का समयकाल नौ महीने का होता है। ज्योतिष शास्त्र ये मानता है कि ये नौ महीने नौ ग्रहों के होते हैं।
मान्यता है कि जो गर्भवती महिला प्रेग्नेंसी के नौ महीनों के दौरान अपने गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए कुछ विशेष उपाय करती है तो उसके बच्चे के नवग्रह मजबूत हो जाते हैं। जिस बच्चे की कुण्डली में उसके नवग्रह अच्छी स्थिति यानि उस स्थिति में होते हैं। वो जीवन में सभी सुख पाता है।
हर गर्भवती महिला को अपने आने वाले बच्चे की खुशहाल जिंदगी के लिये ज्योतिष शास्त्र में बताये गये उपायों को जरूर करना चाहिये। इन नौ महीनों में हर एक महीना एक ग्रह से संबंधित है। माना जाता है कि ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में बताये महीने में ग्रहों के उपाय करने से गर्भ में पल रहे बच्चे का भविष्य उज्जवल बनता है।
पहला महीना – पहला महीना शुक्र का होता है। शुक्र ग्रह को जीवन में सुख देने वाला ग्रह माना जाता है। कहते हैं कि जिसकी कुंडली में शुक्र उच्च स्थिति में होता है, उसे जीवन के सभी सुख बहुत आसानी से मिल जाते हैं।
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मां लक्ष्मी की आराधना करें
दूसरा महीना – गर्भावस्था में दूसरा महीना मंगल ग्रह का होता है। मंगल ग्रह को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि जिस की कुंडली में मंगल उच्च स्थिति में होता है उसका शरीर बहुत बलशाली, रोगमुक्त और ताकतवर होता है।
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भगवान हनुमान जी की आराधना करें।
तीसरा महीना – प्रेग्नेंसी के दौरान तीसरे महीने को देव गुरु बृहस्पति का माना जाता है। कहते हैं कि जीवन में शिक्षा, रोजगार, विवाह और संतान को बृहस्पति ग्रह प्रभावित करते हैं। जिस व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति उच्च का होता है, उसे उच्च शिक्षा प्राप्त होती है, अच्छा रोजगार मिलता है, गुणवान जीवनसाथी से विवाह होता है और नेक संतान की प्राप्ति होती है।
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गाय की सेवा करें गाय को आटे की लोई ,उसमें हल्दी, गुड़ ,चने की दाल मिलाकर खिलाना शुरू करें।
चौथा महीना – इस दौरान चौथा महीना सूर्य देव का होता है। सूर्य देव पिता का सुख, ददिहाल से मिलने वाला प्यार, हड्डियों की मजबूती और सरकारी नौकरी को प्रभावित करते हैं। जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य उच्च स्थिति में होता है उसके पिता की लंबी उम्र होती है। साथ ही उसके जीवन में सरकारी नौकरी के अवसर बनते हैं।
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भगवान विष्णु की आराधना करें।
पांचवां महीना – पांचवे महीने को चंद्र देव का महीना माना जाता है। चंद्र देव माता की लंबी उम्र, ननिहाल से मिलने वाला प्यार और बच्चे की मानसिक स्थिति को प्रभावित करते हैं। जिन बच्चों का चंद्र गर्भ में ही मजबूत हो जाता है उन्हें जीवन में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है।
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भगवान शिव की आराधना करें।
छठां महीना – छठां महीना न्याय के देवता शनिदेव का माना जाता है। शनिदेव बच्चे के बाल, नाखून और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करते हैं। माना जाता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह उच्च स्थिति में होता है उसे जीवन में ज्यादा दुख-दर्द और कष्ट नहीं झेलने पड़ते हैं।
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अपनी छाया देखकर सरसों का तेल का दान करें।
सातवां महीना – गर्भावस्था के दौरान सातवां महीना बुध का होता है। अगर बुध ग्रह को मजबूत करने के उपाय किये जाये तो बच्चे की बुद्धि, वाणी, आत्मविश्वास और लेखन में वृद्धि होती है। बुध ग्रह बुद्धिमता का प्रतीक है।
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मां दुर्गा की आराधना करें ।
आठवां महीना – आठवें महीने में फिर से चंद्र देव का महीना चलता है। इस दौरान चंद्र देव को मजबूत करने के उपाय करने चाहिए। जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा मजबूत है उसकी माता की उम्र लंबी होती है। साथ ही उसे ननिहाल से बहुत प्रेम मिलता है। आठवें महीने घर परिवार में जिस देव का पूजन होता है। उस देव के आशीर्वाद से इस माह में गर्भ की रक्षा होती है। इष्टदेव इस माह बच्चे को भोजन की आपूर्ति करता है।
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भगवान शिव की आराधना करें। ओम नमः शिवाय मंत्र करें बड़े बुजुर्ग ब्राह्मणों गुरुओं का आशीर्वाद ले।
नौवां महीना – गर्भावस्था में पल रहे बच्चे का नौवां महीना सूर्य देव का माना गया है। सूर्य देव पिता की उम्र को प्रभावित करते हैं। माना जाता है कि जिस की कुंडली में सूर्य देव मजबूत होते हैं वो व्यक्ति बहुत प्रभावशाली होता है। ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में लीडर की भूमिका निभाता है।
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भगवान विष्णु की आराधना करें। ओम् नमो भगवते नारायण मंत्र एक माला करें।
नि:संतान दंपतियों को संतान प्राप्ति के लिये अपने इष्ट देवी देवता की पूजा अर्चना करनी चाहिए या किसी योग्य ज्योतिषाचार्य को कुंडली दिखाकर अपनी ग्रहों की शांति पूजा अनुष्ठान करवाना चाहिए।