न्यूज डेस्क (प्रियंवदा गोप): एलोन मस्क की उपग्रह इंटरनेट सेवा स्टारलिंक (Satellite Internet Service Starlink) को हाल ही में बड़ा मंहगा झटका लगा है। जिसमें स्टारलिंक के 40 सैटेलाइट जियोमैग्नेटिक तूफान (Geomagnetic Storm) में तबाह हो गये। कंपनी ने इस मामले पर बयान जारी करते हुए बताया कि तेज रफ्तार और तूफानी हालातों ने पिछले बारे के मुकाबले वायुमंडलीय खिंचाव को 50 फीसदी तक बढ़ा दिया है। इस खगोलीय परिघटना (Celestial Phenomenon) के बचने के लिये स्टारलिंक टीम ने सभी सैटेलाइट्स को सेफ मोड (Safe Mode) में जाने की कमांड दी, जिसके बाद स्टारलिंक सैटेलाइट जियोमैग्नेटिक तूफ़ान के घर्षण को कम करने के लिये किनारे पर (यानि कि हवा में कागज़े के एक हल्के पन्ने की तरह) उड़ेगें। इस तरह से स्टारलिंक सैटेलाइट काफी हद तक इस तूफान से बच जायेगें।
कंपनी के मुताबिक डी-ऑर्बिटिंग सैटेलाइट (De-Orbiting Satellite) दूसरो उपग्रहों के साथ “शून्य टकराव जोखिम” पैदा करते हैं। इसका आसान शब्दों में मतलब है कि ये उपग्रह ऑर्बिट में किसी तरह का कोई कचरा नहीं छोड़ते है और इनका कोई भी हिस्सा ज़मीन पर नहीं गिरता है। बता दे कि कंपनी ने बीती 3 फरवरी को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर (Kennedy Space Center in Florida) के लॉन्च कॉम्प्लेक्स में फाल्कन 9 रॉकेट की मदद से पृथ्वी की निचली कक्षा में 49 स्टारलिंक उपग्रहों को लॉन्च किया था।
स्पेसएक्स ने हाल ही में 2,000 उपग्रहों को लॉन्च कर इस क्षेत्र में मील का पत्थर पार किया है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में सस्ती इंटरनेट सेवायें मुहैया करवाने के लिये कंपनी ऐसे कुल 12,000 ऐसे उपग्रहों को लॉन्च करने की योजना पर काम कर रही है।