हेल्थ डेस्क (यामिनी गजपति): संयुक्त राज्य अमेरिका में की गयी एक क्लीनिकल स्टडी में पाया गया कि कोविड -19 संक्रमण (Corona Infection) से उबरने के एक साल बाद भी दिल जुड़ी बीमारियां होने का जोखिम लगातार बना रहता है। अध्ययन में सामने आया कि कोविड -19 का एक हल्का मामला भी ठीक के बाद कम से कम एक साल तक हृदय संबंधी समस्याओं के जोखिम को दस गुना बढ़ा सकता है।
इस दौरान हार्ट बीट में अनियमितता, हृदय की सूजन, ब्लड क्लॉटिंग (Blood Clotting), स्ट्रोक, कोरोनरी धमनी की बीमारी, दिल का दौरा, हार्ट फेल्योर (Heart Failure) या यहां तक कि मौत भी शामिल है। शोधकर्ताओं ने कहा कि ये हृदय संबंधी समस्यायें ऐसे में लोगों में देखी गयी जो युवा और स्वस्थ थे और हाल ही में कोरोना संक्रमण को मात दे चुके थे।
अध्ययन से पता चला कि दिल फेल्योर और स्ट्रोक उन लोगों में ज़्यादा देखा गया, जो कि हाल ही में कोरोना संक्रमण से पूरी तरह ठीक हो चुके थे। और इससे भी ज़्यादा चिंताजनक बात ये है कि जोखिम उन लोगों के लिये भी बढ़ गया था जिनकी उम्र 65 वर्ष से कम थी और उनमें मोटापे या मधुमेह (Diabetes) जैसे जोखिम वाले कारकों की कमी थी और उन्हें भी जिन्हें कोविड के साथ अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं थी।
इन नतीज़ों में ये भी सामने आया कि जो लोग महामारी की दूसरी लहर के दौरान संक्रमित हुए थे, वो हृदय की मांसपेशियों में सूजन, दिल के दौरे और दिल की अनियमित धड़कन की शिकायत के साथ वापस आ रहे हैं। अमेरिकी शोधकर्ताओं का ये अध्ययन हाल ही में नेचर मेडिसिन जर्नल (Nature Medicine Journal) में पब्लिश हुआ।
क्लिनिकल स्टडी में सामने आये ये नतीज़े
डॉक्टरों का सुझाव है कि जो लोग कोविड से ठीक हो गये हैं, यहां तक कि मामूली बीमारी वाले लोगों को भी संक्रमण के लगभग छह महीने बाद हृदय की जांच करानी चाहिये। जो लोग कोविड से ठीक हो गये थे, उनमें संक्रमण के बाद साल भर के भीतर उनमें बीस तरह की हृदय संबंधी समस्याओं में भारी इज़ाफा देखा गया।
ऐसे लोगों में अपनी उम्र के दूसरे लोगों के मुकाबले स्ट्रोक होने की संभावना 52 फीसदी ज़्यादा देखी गयी। कोरोना संक्रमण से ठीक हुए हज़ार लोगों में से 4 से ज़्यादा लोगों ने हार्ट स्ट्रोक (Heart Stroke) महसूस किया। हज़ार लोगों पर किये अध्ययन में सामने आया कि इनमें से 12 या बारह से ज़्यादा लोगों में हार्ट फेल्योर होने की संभावना 72 फीसदी पायी गयी।