बिजनेस डेस्क (राजकुमार): भारत “घोस्ट मॉल” (Ghost Mall) बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। ये प्रचलन दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (NCR), पुणे और हैदराबाद (Pune and Hyderabad) में तेजी से फैलता दिख रहा है। नाइट फ्रैंक इंडिया (Knight Frank India) की हालिया रिपोर्ट “थिंक इंडिया, थिंक रिटेल 2022” के मुताबिक इस मुद्दे से कुल 524 मिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ है।
बता दे कि घोस्ट मॉल का मतलब ऐसे मॉल्स से होता है, जिसमें 40% से ज्यादा खाली जगह होती है। ये घोस्ट मॉल कई चीजों का नतीजा हैं, जैसे कि तेजी बढ़ता ऑनलाइन/डिलीवरी कल्चर, बदतर पोजिशनिंग, खराब लेआउट, एंकर स्टोर की कमी, लो ऑक्यूपेंसी (Low Occupancy), विवादित ऑनरशिप पैटर्न (Controversial Ownership Pattern) और इसके अलावा के अन्य तकनीकी वजहें। इंटरनेशनल प्रॉपर्टी कंसल्टेंट नाइट फ्रैंक ने एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 21% ऑपरेशनल शॉपिंग मॉल खराब हालात में हैं और उन्हें तुरन्त मदद की दरकार है।
रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा हालातों भारत के पास 8.6 मिलियन वर्ग मीटर (92.9 मिलियन वर्ग फीट) का कुल मॉल स्टॉक है, जो कि शीर्ष आठ बाजारों – अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में और पुणे 271 ऑप्रेशनल मॉल में फैला हुआ है। एनसीआर में भारत के कुल मॉल स्टॉक का लगभग एक तिहाई या 34% योगदान देता है, जो कि शीर्ष 8 बाजारों में सबसे ज्यादा है। मुंबई शीर्ष 8 बाजारों में 18 फीसदी या दूसरे सबसे बड़े मॉल स्टॉक का योगदान देता है जबकि बेंगलुरु (Bangalore) 17 फीसदी का योगदान देता है।