न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): असम (Assam) में अवैध मदरसों को गिराने का सिलसिला लगातार जारी है लेकिन इस बार मदरसों को अधिकारियों ने नहीं बल्कि खुद मुस्लिम सुमदाय (Muslim community) के लोगों ने गिरा दिया। सामने आ रहा है कि स्थानीय लोगों ने ‘जिहादी’ कवायदों के लिये मदरसा समेत एक मकान को गिराकर अपना विरोध ज़ाहिर किया। भारत विरोधी गतिविधियों के लिये गोलपारा (Goalpara District) में मदरसे का इस्तेमाल करने के आरोप में मौलवी जलालुद्दीन शेख की गिरफ्तारी भी की गयी।
जलालुद्दीन शेख के सम्पर्क में बांग्लादेशी आंतकी संगठन AQIS के दो आंतकी लगातार बने हुए थे। ये आंतकी संगठन अल कायदा (Al Qaeda) और अंसारुल बांग्ला टीम (Ansarul bangla team) के साथ सांठगांठ कर आंतकी हरकतों को अंजाम देता था। वहाबी (Wahabi) मदरसों के खिलाफ असम सरकार की कार्रवाई के बाद धराशायी होने वाला ये चौथा मदरसा था। अधिकारियों का दावा है कि अल कायदा के प्रति निष्ठा रखने वाले जिहादी मानसिकता वाले लोगों के लिये ये पनाहगाह बना हुआ था।
असम के गोलपाड़ा, बंगाईगांव, बारपेटा और मोरीगांव (Barpeta and Morigaon) में ध्वस्त किये गये चार मदरसों में से तीन को सरकार के आदेश पर गिराये गये, क्योंकि इन सभी के सीधे तालुक्कात आतंकवादी संगठन अल कायदा और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम से थे।
बता दे कि बीते 4 अगस्त को मोरीगांव के जमीउल हुडा मदरसा (Jamiul Hooda Madrasa) को तोड़ा गया। 29 अगस्त को बारपेटा के जमीउल हुडा अकादमी मदरसा को तोड़ा गया। 31 अगस्त को बांगईगांव (Bangaigaon) के मरकजुल मारिफ कौरियाना मदरसा (Markjul Marif Kauriana Madrasa) को गिरा दिया दिया गया था और 6 सितंबर को गोलपाड़ा में एक मदरसे को स्थानीय लोगों ने ही ध्वस्त कर दिया।
गौरतलब है कि गोलपाड़ा में मदरसे को तोड़े जाने को लेकर कोई सरकारी आदेश जारी नहीं किया गया था। सरकार का कहना है कि इस मदरसे को मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ही तोड़ा था।
इस मदरसे का इस्तेमाल दो संदिग्ध बांग्लादेशियों ने जिहादी गतिविधियों के लिये किया था। पुलिस के मुताबिक ये दोनों संदिग्ध साल 2020 से इस मदरसे में बतौर टीचर काम कर रहे थे। आरोप है कि ये दोनों शख्स बच्चों को आतंकी ट्रेनिंग (Terrorist Training) दे रहे थे। इस तरह के आरोप के बाद स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने ही मदरसे को ध्वस्त कर दिया। पुलिस ने दावा किया कि दोनों ने साल 2020 और 2022 के बीच मदरसे में पढ़ा रहे थे और मदरसे के बगल में ही बने घरों में दोनों को पनाह मिली हुई थी।