न्यूज डेस्क (उमा गजपति): मौजूदा आर्थिक हालातों को देखते हुए पीएम मोदी की ओर से आत्मनिर्भर भारत पैकेज (Atamnirbhar Bharat package) की घोषणा की गई। पिछले 2 दिनों से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर (Minister of State for Finance Anurag Thakur) पैकेज से जुड़े प्रावधानों और आवंटन को लेकर प्रेस वार्ता कर रहे हैं। इसी मुद्दे पर राहुल गांधी ने वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग (Video conferencing) के माध्यम से पैकेज को लेकर कई सवाल उठाए साथ ही केंद्र सरकार को सुझाव भी दिए। प्रवासी मजदूरों और किसानों की नगदी जरूरतों को देखते हुए उन्होंने केंद्र सरकार से राहत राशि सीधे पहुंचाने की बात कही। केंद्र सरकार को आत्मनिर्भर भारत पैकेज पर पुनर्विचार करने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा- मैं कोई राजनीतिक बयान नहीं दे रहा हूं, बल्कि पूरे देश की तरफ से बोल रहा हूं। उन्होंने कहा कि सरकार को आर्थिक पैकेज पर दोबारा विचार करना चाहिए। प्रोत्साहन पैकेज की शुरुआत करके सरकार ने एक अच्छा कदम उठाया है, लेकिन इसमें जरूरतमंदों, प्रवासी मजदूरों, किसानों की जेब में पैसा डालने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
केंद्र को गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं लोगों का ख्याल रखने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा-जो पैकेज होना चाहिए था वो कर्ज का पैकेज नहीं होना चाहिए था। इसको लेकर मेरी निराशा है। आज किसानों, मजदूरों और गरीबों के खाते में सीधे पैसे डालने की जरूरत है। सरकार को लॉकडाउन को समझदारी एवं सावधानी के साथ खोलने की जरूरत है और बुजुर्गों एवं गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आप (सरकार) कर्ज दीजिए, लेकिन भारत माता को अपने बच्चों के साथ साहूकार का काम नहीं करना चाहिए, सीधे उनकी जेब में पैसे देना चाहिए। इस वक्त गरीबों, किसानों और मजदूरों को कर्ज की जरूरत नहीं, पैसे की जरूरत है।
भारतीय की इंटरनेशनल एजेंसी (International agency) द्वारा रेटिंग के मसले पर उन्होंने कहा-मैंने सुना है कि पैसे नहीं देने का कारण रेटिंग है। कहा जा रहा है कि वित्तीय घाटा बढ़ जाएगा तो विदेशी एजेंसियां हमारे देश की रेटिंग कम कर देंगी। हमारी रेटिंग मजदूर, किसान, छोटे कारोबारी बनाते हैं। इसलिए रेटिंग के बारे में मत सोचिए, उन्हें पैसा दीजिए।
आगे राहुल गांधी ने कहा- जो भी बातें मैं आज बोल रहा हूं वो मेरी नहीं बल्कि देश के हर छोटे कारोबारियों से लेकर किसान और श्रमिकों तक के सवाल सरकार से है। डायरेक्ट कैश ट्रांसफर (Direct cash transfer) मनरेगा के कार्य दिवस 200 दिन, किसानों को पैसा आदि के बारे में मोदी जी विचार करें, क्योंकि ये सब हिंदुस्तान का भविष्य है। आज का हिंदुस्तान 10 साल पहले से बहुत अलग है, आज ज्यादातर श्रमिक (labourer) शहरों में रह रहे हैं। कांग्रेस सरकार और गठबंधन सरकार अलग-अलग है। कांग्रेस शासित राज्य में मजदूरों की सीधी मदद की जा रही है। महाराष्ट्र इकोनामी का सेंटर है, ऐसे में महाराष्ट्र का सपोर्ट केंद्र सरकार को ज्यादा करना चाहिए, लोगों की शिकायत है कि केंद्र सरकार बीजेपी शासित राज्य में ज्यादा ध्यान दे रही है, बाकी राज्यों में कम।