एंटरटेनमेंट डेस्क (स्तुति महाजन): Gufi Paintal Passes Away: सुपरहिट सीरियल महाभारत (Serial Mahabharat) में ‘शकुनी मामा’ की शानदार भूमिका निभाने वाले गूफी पेंटल का आज (5 जून 2023) सुबह निधन हो गया। वो 78 वर्ष के थे। गूफी पेंटल को आठ दिन पहले अंधेरी मुंबई (Andheri Mumbai) के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गुफी पेंटल को दिल और किडनी की बीमारी थी। गूफी के भतीजे हितेन पेंटल और उनके महाभारत के साथी कलाकार सुरेंद्र पाल ने अभिनेता की मृत्यु की पुष्टि की है। उनका अंतिम संस्कार आज शाम 4 बजे किया जायेगा।
गूफी पेंटल ने साल 1975 में ‘रफू चक्कर’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। वो 80 के दशक में कई फिल्मों और टीवी शोज में नजर आये। हालांकि साल 1988 में बीआर चोपड़ा (BR Chopra) के सुपरहिट शो ‘महाभारत’ में शकुनी की भूमिका निभाने के बाद गुफी पेंटल घर-घर में एक खास पहचान मिली। गूफी को आखिरी बार स्टार भारत के शो ‘जय कन्हैया लाल की’ में देखा गया था।
अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत करने से पहले गूफी पेंटल भारतीय सेना (Indian Army) में थे। एक इंटरव्यूह के दौरान उन्होनें कहा था कि “जब 1962 में भारत-चीन युद्ध (India-China War) चल रहा था, तब मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। जंग के दौरान भी कॉलेज में सेना की भर्ती चल रही थी। मैं हमेशा से सेना में शामिल होना चाहता था। मैं चीन सीमा पर भारतीय सेना की आर्टिलरी यूनिट (Artillery Unit) में तैनात था।”
उन्होनें एक दफा जिक्र किया था कि- “सीमा पर मनोरंजन के लिये कोई टीवी और रेडियो नहीं हुआ करता था, इसलिए हम (सेना के जवान) सीमा पर रामलीला करते थे। मैं रामलीला में सीता की भूमिका निभाता था और एक शख़्स रावण के वेश में स्कूटर पर आता था और मेरा अपहरण कर लेता था। मुझे अभिनय का शौक था, इससे मुझे एक्टिंग की कुछ ट्रेनिंग मिली।
गूफी पेंटल साल 1969 में मुंबई आये और कई फिल्मों में सहायक निर्देशक के तौर पर काम किया। फिर एक दिन बीआर चोपड़ा ने उन्हें महाभारत में बतौर कास्टिंग डायरेक्टर काम करने का मौका दिया।
गुफी पेंटल के मुताबिक उन्हें महाभारत में शकुनि मामा के किरदार के लिये परफेक्ट चेहरे की तलाश थी और शो के लिये उन्होंने सभी किरदारों का ऑडिशन लिया था। गूफी पेंटल ने आखिरकार शकुनी की भूमिका के लिये तीन लोगों को शॉर्टलिस्ट किया लेकिन शो की स्क्रिप्ट लिख रहे मासूम रजा ने उन्हें शकुनि का किरदार निभाने की सलाह दी। और बाकी जैसा कि लोग कहते हैं, उनका ये किरदार इतिहास बन गया।
बता दे कि साल 1944 में वो पंजाब के तरनतारन (Tarn Taran of Punjab) में पैदा हुए। सेना के बाद एक्टिंग और एंटरटेनमेंट की दुनिया में आने के लिये वो अपने छोटे भाई से मोटिवेट हुए। वो 70 और 80 के दशक में कई फिल्मों में छोटी और सहायक भूमिकाओं में दिखाई दिये, खासतौर से फिल्म दिल्लगी और देस परदेस में उनकी अदाकारी के लिये उन्हें खासा सराहा गया।