न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार की अगुवाई वाली गुजरात उच्च न्यायालय की न्यायिक खंडपीठ ने मोरबी पुल (Morbi Bridge) के ढहने के मामले में सरकारी अधिकारियों और राज्य मानवाधिकार आयोग (SHRC) को नोटिस जारी किया, घटना में 30 अक्टूबर को 135 लोगों की मौत हो गयी थी। मामला आज (7 नवंबर 2022) दिवाली की छुट्टियों के बाद फिर से अदालत खुलने पर उठाया गया। कोर्ट ने त्रासदी के मद्देनजर अब तक की गयी कार्रवाई पर 14 नवंबर तक रिपोर्ट मांगी।
प्रधान न्यायाधीश कुमार (Chief Justice Arvind Kumar) द्वारा 31 अक्टूबर को रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लेने और उस दिन रजिस्ट्रार (न्यायिक) को टेलीफोन पर निर्देश देने के बाद जनहित याचिका की सुनवाई करने के लिये मंजूरी दी। मुख्य न्यायाधीश ने निर्देश देते हुए कहा कि, “… दीवाली की छुट्टियों की वज़ह से अदालतें बंद होने के कारण रजिस्ट्रार (न्यायिक) को टेलीफोन पर निर्देश जारी किया कि वो उक्त लेख को जरूरी औपचारिकताओं के बाद दर्ज करके लेख को स्वत: जनहित याचिका के रूप में मानने का आदेश दिया। ।
न्यायिक खंडपीठ जिसमें न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री (Justice Ashutosh Shastri) भी शामिल हैं, ने आज (7 नवंबर 2022) को छह प्रतिवादी पक्षों को मुकदमे में शामिल किया, जिसमें गुजरात सरकार (Gujarat Government) के मुख्य सचिव, गृह सचिव के माध्यम से गुजरात सरकार के गृह विभाग, नगर पालिकाओं के आयुक्त के माध्यम से शहरी विकास विभाग को, मोरबी नगर पालिका, मोरबी जिला कलेक्टर और SHRC को पक्षकार बनाया गया।
अदालत ने गुजरात के मुख्य सचिव और गृह विभाग के सचिव को एक हफ़्ते के भीतर मामले को लेकर अपनी “स्थिति रिपोर्ट” दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। न्यायिक पीठ ने SHRC (गुजरात राज्य मानवाधिकार आयोग) को ये भी निर्देश दिया कि वो “सुनवाई की अगली तारीख तक इस मामले में रिपोर्ट दाखिल करेगी।” न्यायिक पीठ (Judicial Bench) ने आज मोरबी में हादसा पीड़ितों के लिये दो मिनट का मौन रखने के बाद अदालती कार्यवाही शुरू की।