Guru Purnima 2023: मान्यता है कि पौराणिक काल के महान व्यक्तित्व महर्षि वेदव्यास जी, जिन्हें ब्रह्मसूत्र, महाभारत, श्रीमद्भागवत और अट्ठारह पुराण (Shrimad Bhagwat and 18 Puranas) जैसे अद्भुत साहित्यों का रचयिता भी माना जाता है, उनका जन्म आषाढ़ पूर्णिमा (Ashada Purnima) को हुआ था। कहा जाता है कि मनुष्य को सबसे पहले वेदों की शिक्षा महर्षि वेदव्यास (Maharishi Vedvyas) ने ही दी थी, इसलिये हिन्दू धर्म में उन्हें प्रथम गुरु का दर्जा दिया गया है। यही कारण है कि गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा (Vyas Purnima) भी कहा जाता है। इस साल गुरु पूर्णिमा/व्यास पूजा 3 जुलाई 2023 के दिन है।
हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार महर्षि वेदव्यास पराशर ऋषि (Parashara Rishi) के पुत्र थे तथा वो तीनों लोकों के ज्ञाता थे। उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से यो जान लिया था कि कलयुग में लोगों के अंदर धर्म के प्रति आस्था कम हो जायेगी, जिसकी वज़ह से मनुष्य नास्तिक, कर्तव्य से विमुख और अल्पायु हो जायेगा इसलिए महर्षि वेदव्यास ने वेद को चार हिस्सों में विभाजित कर दिया ताकि जो लोग बुद्धि से कमज़ोर हैं या जिनकी स्मरण शक्ति कमज़ोर है, वो लोग भी वेदों का अध्ययन कर लाभान्वित हो सकें।
व्यास जी ने वेदों को अलग-अलग करने के बाद उनका नाम क्रमशः ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद (Samaveda and Atharvaveda) रखा। वेदों को इस प्रकार विभाजित करने के कारण जी वो वेदव्यास के नाम से प्रसिद्ध हुए। इसके बाद उन्होंने इन चारों वेदों का ज्ञान अपने प्रिय शिष्यों वैशम्पायन, सुमन्तुमुनि, पैल और जैमिनी को दिया।
वेदों में मौजूद ज्ञान अत्यंत रहस्यमयी और कठिन था, इसलिये वेद व्यास जी ने पांचवें वेद के रूप में पुराणों की रचना की, जिनमें वेदों के ज्ञान को रोचक कहानियों के रूप में समझाया गया है। उन्होंने पुराणों का ज्ञान अपने शिष्य रोमहर्षण को दिया। इसके बाद वेदव्यास जी के शिष्यों ने अपनी बुद्धि के बल पर वेदों को अनेक शाखाओं और उप-शाखाओं में विभाजित किया। वेदव्यास जी आदि-गुरु भी माने जाते हैं, इसलिये गुरु पूर्णिमा के दिन ने गुरुओं को वेदव्यास जी का अंश मानकर, उनकी पूजा करनी चाहिये।
Guru Purnima पूजन विधि
- गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी सोकर उठें। इसके बाद अपने घर की साफ-सफाई करने के बाद, नहा-धोकर साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
- फिर किसी साफ-स्वच्छ स्थान या पूजा करने के स्थान पर एक सफेद कपड़ा बिछाकर व्यास पीठ का निर्माण करें और वेदव्यास जी की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें।
- इसके बाद वेदव्यास जी को रोली, चंदन, फूल, फल और प्रसाद आदि अर्पित करें।
- गुरुपूर्णिमा के दिन वेदव्यास जी के साथ-साथ शुक्रदेव और शंकराचार्य (Shukradev and Shankaracharya) आदि गुरुओं का भी आह्वान करें और ‘गुरुपरंपरा सिद्धयर्थं व्यास पूजां करिष्ये’ मंत्र का जाप करें।
- इस दिन केवल गुरु का ही नहीं बल्कि परिवार में आपसे जो भी बड़ा है मतलब कि माता-पिता, भाई-बहन आदि को गुरु तुल्य मानकर उनका सम्मान करें तथा आशीर्वाद लें।
Guru Purnima के दिन किये जाने वाले कुछ ज्योतिषीय उपाय
- जिन छात्रों की पढ़ाई में बाधायें आ रही हैं या मन भ्रमित हो रहा है, उन्हें गुरु पूर्णिमा के दिन गीता पढ़नी चाहिये। यदि गीता पाठ करना संभव न हो तो गाय की सेवा करनी चाहिये। मान्यता है कि ऐसा करने से पढ़ाई में आ रही समस्याएं दूर होती हैं।
- धन प्राप्ति के लिये गुरु पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की जल में मीठा जल चढ़ायें। मान्यता है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
- वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याओं को दूर करने के लिये गुरु पूर्णिमा के दिन पति और पत्नी दोनों मिलकर चंद्र दर्शन करें और चंद्रमा को दूध का अर्घ्य दें।
- सौभाग्य की प्राप्ति के लिये गुरु पूर्णिमा की शाम को तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलायें।
- कुंडली में गुरु दोष से मुक्ति पाने के लिये गुरु पूर्णिमा के दिन “ऊँ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का जाप अपनी इच्छा और श्रद्धानुसार 11, 21, 51 या 108 बार करें।
- इसके अलावा 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें। ख़ुद का ज्ञान बढ़ाने के लिये गुरु पूर्णिमा के दिन निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें।
1: ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम:।
2: ॐ बृं बृहस्पतये नम:।
3: ॐ गुं गुरवे नम:।