न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): Gyanvapi Masjid Case: अंजुमन इंतेजामिया कमेटी (Anjuman Intejamia Committee) की ओर से वाराणसी जिला अदालत (Varanasi District Court) को खत लिखकर मांग की गयी है कि ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे मामले में आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक न की जायें। खत में आयोग के आदेश की वेरिफाईड कॉपी के लिये कोर्ट में आवेदनों का भी जिक्र है।
समिति के वकील मेराजुद्दीन सिद्दीकी (Merajuddin Siddiqui) ने मीडिया को बताया कि उन्होंने गुज़ारिश की है कि आयोग की रिपोर्ट, तस्वीरें और वीडियो सिर्फ संबंधित पक्षों के साथ साझा की जाये और रिपोर्टों को सार्वजनिक नहीं किया जाये। हम इसे 30 मई को हासिल करेंगे।
इससे पहले बीते गुरुवार (26 मई 2022) को जिला अदालत ने काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी परिसर (Kashi Vishwanath-Gyanvapi Complex) में श्रृंगार गौरी (Shringar Gauri) स्थल की दैनिक पूजा की अनुमति मांगने वाली पांच हिंदू महिलाओं की याचिका की सुनवाई पर और मामले को सोमवार को आगे की सुनवाई के लिये बढ़ा दिया।
मुस्लिम पक्ष (Muslim side) ने तर्क दिया है कि ये याचिका सुनवाई लायक ही नहीं है क्योंकि पूजा स्थल अधिनियम 1991 किसी भी पूजा स्थल के धर्मांतरण पर रोक लगाता है और किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को बनाये रखने का आदेश देता है क्योंकि ये 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में था।
याचिका दायर होने के बाद निचली अदालत ने ज्ञानवापी परिसर के वीडियो ग्राफिक्स सर्वेक्षण का आदेश दिया था, और हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि सर्वे के दौरान ‘शिवलिंग’ पाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को मामले को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) से जिला जज को ट्रांसफर करते हुए कहा था कि इस मुद्दे की “जटिलताओं” और “संवेदनशीलता” को देखते हुए, ये बेहतर है कि वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी (Senior Judicial Officer) इस मामले को संभाले।