न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): वाराणसी ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid Case) मामले को लेकर विवाद गहरा गया है। इस महीने की शुरूआत में परिसर के अंदर किये गये सर्वेक्षण के वीडियो फुटेज और तस्वीरें कथित तौर पर लीक हो गये। लीक हुए वीडियो और तस्वीरों को कथित तौर पर कुछ समाचार चैनलों पर प्रसारित किया गया और बीते सोमवार (30 मई 2022) को ये सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गये।
सर्वे की वीडियो रिपोर्ट कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के कुछ देर बाद ही लीक हो गया और टीवी पर प्रसारित होना शुरू हो गया। वाराणसी जिला अदालत (Varanasi District Court) ने सोमवार को मामले के याचिकाकर्ताओं और प्रतिवादियों को रिपोर्ट के वीडियो और तस्वीरों की प्रतियां दीं। ये इस शर्त पर दी गयी थी कि वो वीडियो का गलत इस्तेमाल नहीं करेंगे और उन्हें सार्वजनिक नहीं करेंगे।
इसके बावजूद चार महिला याचिकाकर्ताओं को सीलबंद पैकेटों में सर्वेक्षण रिपोर्ट मिलने के तुरंत बाद आयोग के सर्वेक्षण के कथित वीडियो मीडिया में सामने आये। हिंदू पक्ष के वकील हरि शंकर जैन (lawyer Hari Shankar Jain) ने कहा कि उन्होंने अभी तक सर्वेक्षण रिपोर्ट खोली भी नहीं है और इसे टेलीविजन चैनलों पर प्रसारित किया जा रहा है।
वकील ने कहा कि, “सर्वेक्षण रिपोर्ट के लिफाफों को हमारे पास सीलबंद रखा गया है।” उन्होंने सीलबंद लिफाफे भी दिखाये। वकील ने कहा कि ये पता लगाना होगा कि वीडियो कहां से लीक हुआ है। उन्होंने कहा ये भी कहा कि वीडियो लीक मामले में मंगलवार (31 मई 2022) को अदालत में शिकायत दर्ज करायी जायेगी और अदालत को दोषी की जिम्मेदारी तय करनी होगी। उधर सोमवार को सुनवाई के बाद वाराणसी जिला अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 4 जुलाई दी। ये तारीख 1 जून से अदालतों में गर्मी की छुट्टियों के चलते दी गयी है।
सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों में हुई जमकर नोकझोंक
सुनवाई के दौरान कोर्ट में हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के बीच जमकर बहस हुई। इस दौरान मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलें रखीं। उनका तर्क था कि मां श्रृंगार गौरी (Maa Shringar Gauri) से जुड़ा मामला सुनवाई योग्य नहीं है। मुस्लिम पक्ष के वकील अभय यादव ने दलीलें पेश कीं। कोर्ट में दोनों पक्षों में तीखी नोकझोंक हुई।
वकील अभय यादव ने दावा किया कि मां श्रीगर गौरी का मामला पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 का पूर्ण उल्लंघन है। मुस्लिम पक्ष ने 1937 दीन मोहम्मद बनाम राज्य सचिव (Din Mohamed vs. Secretary of State) के मामले में फैसला भी पढ़ा।
उन्होंने तर्क दिया कि अदालत ने मौखिक गवाही और दस्तावेजों के आधार पर फैसला किया था कि ये पूरा परिसर मुस्लिम वक्फ का है। उन्होंने कहा कि हिंदू पक्ष का ये दावा कि है ये संपत्ति वक्फ की नहीं है, गलत है।
जज को आया गुस्सा
इस दौरान कई बार दोनों पक्षों में तीखी नोकझोंक भी हुई और आवाज कोर्ट के बाहर भी सुनाई दी। शुरुआत में जिला जज (District Judge) ने दोनों पक्षों से शांत रहने की अपील की। लेकिन बात आगे बढ़ी और दोनों पक्षों की आवाज तेज हो गई। इसके बाद जज भड़क गये और दोनों पक्षों को तेज आवाज में बात न करने को कहा। जिसके बाद वो शांत हो गये।