न्यूज डेस्क (देवव्रत उपाध्याय): Gyanvapi Masjid: वाराणसी की फास्ट-ट्रैक अदालत ने आज (8 नवंबर 2022) ज्ञानवापी परिसर में मिले ‘शिवलिंग’ की पूजा की मांग वाली याचिका को 14 नवंबर के लिये स्थगित कर दिया। सुनवाई को इसलिये स्थगित किया क्योंकि आज मामले के जज फास्ट ट्रैक कोर्ट (Fast Track Court) में नहीं बैठेंगे। कोर्ट को वादी की तीन मांगों पर अपना फैसला सुनाना था, जिसमें स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर (Swayambhu Jyotirlinga Lord Vishweshwar) की तुरन्त पूजा अर्चना की इज़ाजत, पूरे ज्ञानवापी परिसर को हिंदुओं को सौंपना और ज्ञानवापी परिसर के अंदर मुसलमानों को घुसने से रोका जाना शामिल है।
गौरतलब है कि मुस्लिम पक्ष ने ज्ञानवापी परिसर में नमाज़ अता करने की मंजूरी के लिये कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। अक्टूबर में हुई पिछली सुनवाई के दौरान वाराणसी की अदालत ने कथित ‘शिवलिंग’ की ‘वैज्ञानिक जांच’ की मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। उस दौरान हिंदू पक्ष ने कथित बनावट की कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) की मांग की थी, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया था कि वो ज्ञानवापी मस्जिद के वज़ूखाना (Vazukhana) के अंदर पाया गया शिवलिंग है।
हालांकि मुस्लिम पक्ष ने कहा कि जो ढांचा मिला वो ‘फव्वारा’ था। हिंदू पक्ष ने तब 22 सितंबर को वाराणसी जिला न्यायालय में ऐप्लीकेशन दायर करते हुए दावा किया था कि कथित शिवलिंग (Shivling) को कार्बन डेटिंग की प्रक्रिया से गुजारा जाये। हिंदू पक्ष ने आगे कहा कि वो ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पाये जाने का दावा करने वाले कथित ‘शिवलिंग’ की ‘वैज्ञानिक जांच’ को मंजूरी देने से इनकार करने वाले वाराणसी अदालत के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (SC- Supreme Court) का दरवाजा खटखटायेगें।
हिंदू पक्ष ने 29 सितंबर की सुनवाई में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI- Archaeological Survey of India) द्वारा ‘शिवलिंग’ की वैज्ञानिक जांच और ‘अर्घा’ और उसके आसपास के इलाके की कार्बन डेटिंग की मांग की थी। ज्ञानवापी मामले में पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता विष्णु जैन (Advocate Vishnu Jain) ने कहा कि, “कोर्ट ने कार्बन डेटिंग की हमारी मांग को खारिज कर दिया। हम इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जायेगें और वहां इसे चुनौती देंगे। मैं अभी तारीख का ऐलान नहीं कर सकता, लेकिन हम ‘ जल्द ही इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।”
हिंदू पक्ष के एक अन्य वकील मदन मोहन यादव (Advocate Madan Mohan Yadav) ने कहा कि, “हालांकि अदालत ने कार्बन डेटिंग की मांग को खारिज कर दिया है, लेकिन उच्च न्यायालय जाने का विकल्प हमारे पास मौजूद है और हिंदू पक्ष उच्च न्यायालय के सामने अपनी बात रखेगा।”
सुप्रीम कोर्ट के 17 मई के आदेश का जिक्र करते हुए वाराणसी कोर्ट (Varanasi Court) ने कहा था कि ”अगर सैंपल लेने से कथित शिवलिंग को नुकसान पहुंचता है तो ये सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा। अगर शिवलिंग को नुकसान पहुंचता है तो आम जनता की धार्मिक भावनायें भी आहत हो सकती हैं।”
बता दे कि कार्बन डेटिंग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जो किसी पुरातात्विक वस्तु या पुरातात्विक खोजों की उम्र का पता लगाती है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी (Gyanvapi Mosque-Shringar Gauri) मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को ज्ञानवापी मस्जिद में पूजा से जुड़े मामले को सिविल जज से वाराणसी के जिला जज को ट्रांसफर करने का आदेश दिया था।
मामले में मुस्लिम पक्ष की अगुवाई करने वाले अखलाक अहमद (Akhlaq Ahmed) ने कहा था कि हिंदू पक्ष की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि ये सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के खिलाफ है जिसमें कहा गया है कि संरचना की रक्षा करना जरूरी है(जिसे मुस्लिम पक्ष फव्वारा होने का दावा करता है और हिंदू पक्ष दावा करता है शिवलिंग हो)। हमने कार्बन डेटिंग के हलफनामे का जवाब दिया है।
मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले एक अन्य वकील तोहिद खान (Lawyer Tohid Khan) ने कहा था कि, “अदालत अपना फैसला सुनायेगी कि कार्बन डेटिंग की मांग करने वाला आवेदन मंजूर किया जाना चाहिया या खारिज कर दिया जाना चाहिये। मिली संरचना फव्वारा है शिवलिंग नहीं। फव्वारे को अभी भी चालू किया जा सकता है।”