न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): हाल ही में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी (Hamid Ansari) की एक किताब छपी। जिसमें उन्होनें पीएम मोदी से असहज़ संबंधों की खुलासा किया। हामिद अंसारी के मुताबिक जब उन्होनें साल 2007 के दौरान गोधरा कांड के बारे में पूछा तो नरेन्द्र मोदी ने उन्होनें अपने कामों का खुलासा करते हुए बताया कि, उन्होनें मुसलमानों के लिए भी कई काम किये है। जिनके बारे में कोई पूछता नहीं। अपनी किताब बाय मैनी ए हैप्पी एक्सीटेंडः रीकलेक्शन्स ऑफ ए लाइफ में उन्होनें लिखा कि वो कोई भी बिल शोरगुल के बीच पास नहीं करते थे। यहां पर हामिद अंसारी का इशारा तीनों कृषि कानून, ट्रिपल तलाक और जम्मू कश्मीर के मसले की ओर है। ये सीधे तौर पर ये निशान मौजूदा मोदी सरकार की ओर है।
हांलाकि वो इससे पहले कई दफ़े बयान दे चुके है कि, मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद मुसलमानों में डर का माहौल काफी बढ़ा है। उन्होनें अपनी किताब में लिखा कि एक बार पीएम मोदी उनके कार्यालय में आ गये। बिल पास करवाने के संबंध में बोलते हुए जिम्मेदारी और मदद का हवाला देने लगे। जिस पर हामिद अंसारी ने ज़वाब दिया कि, राज्यसभा और उसके बाहर उनकी ज़वाबदेही जनता के प्रति है। किताब में उन्होनें दावा किया कि भारतीय मुसलमान चरमपंथी विचारधारा (Extremist ideology) की ओर आकर्षित नहीं होते।
पीएम मोदी से भले ही उन्होनें अपने तल्ख रिश्तों को खुलासा किया हो लेकिन हामिद अंसारी पर बतौर ईरान में राजदूत रहते हुए कई संगीन आरोप लगे। उन्होनें इससे जुड़ा कोई भी किस्सा अपनी किताब में नहीं डाला। साल 2017 के दौरान एक पूर्व रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) के पूर्व अधिकारी एनके सूद ने उन पर कई गंभीर आरोप लगाये थे। जिसकी शिकायत सूद ने मोदी से की थी। इससे संबंध में उन्होनें पीएम मोदी को अंसारी पर कार्रवाई करने के लिए खत लिखा था। उस खत में कई घटनाओं का जिक्र किया गया था। जिनसे साबित होता था कि अंसारी ने देश और राष्ट्रीय सुरक्षा का दांव पर रखकर काम किया था।
उस खत में दावा किया गया था कि, ईरान में भारतीय राजदूत रहते हुए हामिद अंसारी ने रॉ की कई अहम जानकारियां ईरानी इंटेलीजेंस (SAVAK) एजेंसी को दी। जिसके चलते कई खुफ़िया ऑप्रेशंस स्थगित हुए। रॉ के कई जासूस को अगवा कर उन्हें न्यूरोटॉक्सिक ज़हर (Neurotoxic poison) दिया गया। जिस पर अंसारी ठोस कार्रवाई करने से बचते रहे और साथ ही गृहमंत्रालय को भ्रामक और झूठे तथ्यों वाली रिपोर्ट भेज मामलों को रफा-दफा किया।
तेहरान में वो लगातार आईएसआई के लोगों से मीटिंग कर उन्हें खुफ़िया इनपुट्स उपलब्ध करवाते रहे। हामिद अंसारी के नाक के नीचे रिश्वत लेकर ईरान लोगों को 500 डॉलर में स्टूडेंट वीज़ा दिया जाता रहा। उस दौरान अंसारी के आदेशों पर ही R&AW को सभी कार्रवाईयां डिफेंसिव रखनी पड़ी। बम्बई ब्लास्ट के दौरान अंसारी से जुड़े सभी मिशनों में दुबई, बहरीन और सऊदी अरब काम कर रहे राजदूतों ने R&AW और उसकी कार्यप्रणाली को टारगेट किया। हामिद अंसारी ने किताब बाय मैनी ए हैप्पी एक्सीटेंडः रीकलेक्शन्स ऑफ ए लाइफ इन सब घटनाओं से जुड़ा कोई भी वाकया नहीं साझा किया। राजनीति से प्रेरित हो केन्द्र सरकार पर हमला करने के लिए उन्होनें जरूर कुछ तथ्यों का इस्तेमाल इस किताब में किया है।