बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध कर सियासी पारी की शुरुआत करने वाले गुजरात के नेता हार्दिक पटेल (Hardik Patel) बीते गुरूवार (2 जून 2022) को बीजेपी में शामिल हो गये। हार्दिक पटेल सालों से पीएम मोदी (PM Modi) के खिलाफ बोलते रहे हैं लेकिन भाजपा (BJP) में शामिल हो गये और कहा है कि वो मोदी के ‘सिपाही’ हैं।
हार्दिक पटेल के पुराने भाषणों को सुनकर आपको पता चलेगा कि सत्ता पाने के लिये राजनीति में विचारधारा को इधर से उधर करना पड़ता है। और ये काफी आसानी से किया जा सकता है, जैसा कि हमने हाल के महीनों में देखा है।
भारत में लोग कहते हैं कि जो नेता अपनी बात से पीछे नहीं हटता, वो नेता ही नहीं है। हार्दिक पटेल ने घोषणा की है कि जिस पार्टी के खिलाफ उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत की थी, उसी भाजपा में शामिल होकर अब वो बड़े राजनेता बन गये हैं। इससे आप समझ सकते हैं कि नेताओं को विश्वसनीय क्यों नहीं माना जाता और क्यों कई लोग राजनीति में आने से और इसका हिस्सा बनने से हिचकिचाते है।
राजनीति में विचारधारा को इसकी जड़ माना जाता है। अगर आपके पास कोई विचारधारा नहीं है तो राजनीति सारहीन हो जाती है। भाजपा ने हार्दिक पटेल से हाथ मिलाकर शायद ऐसी ही गलती की होगी। इस सियासी घटनाक्रम का सबसे ज्यादा असर उन बीजेपी कार्यकर्ताओं (BJP workers) पर पड़ेगा, जो अब तक हार्दिक पटेल को रोकने के लिये काम कर रहे थे, लेकिन अब हार्दिक पटेल अचानक इन कार्यकर्ताओं के बॉस बन जायेंगे और इससे उनमें काफी निराशा होगी।
किस तरह बदलेगें राजनीति समीकरण और भाजपा को मिलेगा फायदा?
इसका जवाब साल 2017 विधानसभा चुनाव के नतीजों में छिपा है। उस वक़्त हार्दिक पटेल गुजरात (Gujarat) में पटेलों के लिये आरक्षण के लिये आंदोलन कर रहे थे। इस आंदोलन में भारी भीड़ जमा हो गयी थी और इसने गुजरात में तत्कालीन भाजपा सरकार को अस्थिर कर दिया था।
इस आंदोलन के कारण कांग्रेस (Congress) चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर देने में कामयाब रही। तब कांग्रेस ने गुजरात की 182 सीटों में से 77 पर जीत हासिल की थी और बहुमत के बेहद करीब आ गई थी, उसे बहुमत के लिये 92 सीटों की जरूरत थी।
हार्दिक पटेल की वजह से ये सीटें कांग्रेस को मिलीं। इसलिए बीजेपी ने हार्दिक पटेल को पार्टी में शामिल किया। गुजरात में पटेल समुदाय (Patel community) की आबादी 14 प्रतिशत है।