न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): उत्तराखंड पुलिस ने शनिवार (15 जनवरी 2022) देर रात यति नरसिंहानंद को हरिद्वार में उनके धरना स्थल से धर्म संसद के मामले में हिरासत में ले लिया। जहां उन्होनें मुसलमानों के खिलाफ कथित तौर पर नफरत भरे भाषण (Haridwar hate speech case) दिये थे। हरिद्वार के पुलिस अधीक्षक (नगर) स्वतंत्र कुमार ने मीडिया को बताया कि यति नरसिंहानंद (Yeti Narasimhanand) को पुलिस थाने लाया गया है। हालांकि अधिकारी ने ये साफ किया कि उन्हें पकड़ा जाना तकनीकी तौर पर गिरफ्तारी नहीं है।
गाजियाबाद के डासना मंदिर के विवादास्पद पुजारी नरसिंहानंद ने 17-19 दिसंबर तक हरिद्वार में कार्यक्रम का आयोजन किया था। मामले के एक अन्य आरोपी जितेंद्र नारायण त्यागी (Jitendra Narayan Tyagi) की हाल ही में गिरफ्तारी के विरोध में उन्हें वहीं से उठाया गया, जहां वे धरने पर बैठे थे। त्यागी को पहले वसीम रिज़वी (Wasim Rizvi) के नाम से जाना जाता था और उन्होंने हिंदू धर्म अपनाने के बाद अपना नाम बदल लिया।
त्यागी, जिन्होंने हिंदू धर्म अपनाने से पहले उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड (Uttar Pradesh Shia Waqf Board) की अगुवाई की थी, कुछ दिन पहले इस मामले में गिरफ्तार होने वाले पहले शख़्स थे। अधिकारी ने कहा कि आगे की कानूनी कार्रवाई इस बात पर निर्भर करेगी कि जांच कैसे आगे बढ़ती है। त्यागी और नरसिंहानंद दोनों घटना के संबंध में दर्ज प्राथमिकी में नामित आरोपियों में शामिल हैं। इस मामले में उत्तराखंड पुलिस (Uttarakhand Police) की ओर से पहली गिरफ्तारी वसीम रिजवी की थी।
मामले पर सर्किल अधिकारी हरिद्वार ने कहा कि, “यति नरसिंहानंद को महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक बयानबाज़ी से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया है। उनके खिलाफ 2-3 मामले दर्ज हैं।” बता दे कि हरिद्वार अभद्र भाषा विवाद में मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी के तुरंत बाद सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार (Government of Uttarakhand) से मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिये थे, क्योंकि घटना को कई दिन बीत चुके थे।
गाजियाबाद के डासना मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद ने 17 से 19 दिसंबर तक हरिद्वार में धर्म संसद (Dharma Sansad in Haridwar) का आयोजन किया था, जहां मुसलमानों के खिलाफ बेहद भड़काऊ भाषण दिये गये थे। इसके बाद पुलिस ने पुजारी और साध्वी अन्नपूर्णा (Sadhvi Annapurna) के खिलाफ नोटिस जारी किया, जो इस कार्यक्रम में भाषण देने वालों में से एक थीं, जिन पर अभद्र भाषा (Foul Language) का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था।