न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): बीते 2019 के प्रयागराज कुंभ मेले (Kumbh Mela) में एक नयी परम्परा सामने आयी, जब आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी (Acharya Mahamandaleshwar Swami Laxmi Narayan Tripathi) की अगुवाई वाले किन्नर अखाड़ा को शाही स्नान सम्मिलित होना का मौका दिया गया। इससे पहले कभी भी कुंभ में किन्नरों को शाही स्नान शामिल होने की अनुमति अखाड़ा परिषद ने नहीं दी थी। हालांकि इसे लेकर हल्का फुल्का बवाल उस दौरान सामने आया था, पर बाद से सबकुछ सहज़ तरीके से स्वीकार्य कर लिया गया है। आने वाले कुंभ लेकर फिर से ये विवाद तूल पकड़ता दिख रहा है।
हाल ही में बीते शुक्रवार प्रयागराज में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक हुई, जिसमें किन्नर अखाड़ा की मान्यता से जुड़े मसले पर सवाल उठाये गये। इस बैठक में अखाड़ा परिषद के तहत आने वाले सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि (Akhada Council President Narendra Giri) ने कहा कि- आदि शंकराचार्य की परंपरा द्वारा स्थापित केवल 13 अखाड़े ही मान्य हैं। इसके आधार पर ही किसी अन्य अखाड़े को पंजीकृत ना किया जाये। कुंभ के दौरान इन 13 अखाड़ों के अलावा किसी अन्य अखाड़े या संस्था को ज़मीन या अन्य सुविधा ना दी जाये।
उनके इस बयान से अखाड़ा परिषद और किन्नर अखाड़ा के बीच तनातनी बढ़ गयी है। इसके बाद से किन्नर अखाड़ा के अनुयायियों में काफी गुस्सा है। किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि- बीते प्रयागराज कुंभ के दौरान हमें वैधानिक मान्यता दी गयी थी। बावजूद इसके अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के कई लोग हम पर तरह-तरह की फब़्तियां कसते रहते है। परिषद को अपना ध्यान कुछ रचनात्मक कामों में लगाना चाहिए। किन्नर अखाड़ा अपने परिचालन के लिए किसी पर निर्भर नहीं है। हमें उम्मीद है कि हरिद्वार में होने वाले कुंभ के दौरान उत्तराखंड सरकार (Government of Uttarakhand) हमें पर्याप्त सुविधायें मुहैया करवायेगी। वहां पर किन्नर अखाड़ा शाही स्नान के लिए अपना शिविर जरूर लगायेगा।