नई दिल्ली (दिगान्त बरूआ): हाथरस मामले में आज नया खुलासा (Hathras Case Update) हुआ है। उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार मुताबिक प्रकरण में पॉपुलर फ्रंट फॉर इंडिया (Popular front for india-PFI) समेत कुछ दूसरे संगठनों की भूमिका प्रदेश का माहौल खराब करने के लिए सामने आ रही है। इसके अन्तर्गत योगी सरकार की छवि खराब करने के लिए विदेशी धन, प्रोपेगेंडा तकनीक (Propaganda technique) और सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल किया गया है। पूरे मामले को जातीय रंग देने की कोशिश की गयी है। जिससे प्रदेश की शांति-व्यवस्था को बड़ा खतरा हो सकता था।
इस कवायद के तहत एक खास समुदाय को दूसरे समुदाय के प्रति आक्रामक करने की पूरी तैयारी कर ली गयी थी। justiceforhathrasvictim.carrd.co नामक वेबसाइट बनाकर पीड़िता के नाम पर धन इकट्ठा कर साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश की गयी। फोटो शॉप का इस्तेमाल कर बरगलाने वाले ग्राफिक्स तैयार किये गये। जिससे कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों में रोष भर के उनको सरकार के खिलाफ मॉबलाइज (Mobilize against UP government) किया जा सके। वक्त रहते जांच एजेंसियों को इस षड़यन्त्र का पता लगा गया और तत्काल प्रभाव से कथित वेबसाइट को बंद करवा दिया गया। इस संबंध में लखनऊ में मामला दर्ज करवा दिया गया है। जांच में सामने आया है कि फर्जी आईडी का इस्तेमाल करके तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की गयी थी। भड़काऊ और उकसावे से भरे कॉन्टेंट (Inflammatory and provocative content) को तेजी सर्कुलेट भी किया जा रहा था। जिसके तहत कुछ ही देर में हज़ारों लोगों को इससे जोड़ा जा चुका था।
जांच में ये भी खुलासा किया गया है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ भारत (Social democratic party of Bharat) इस हरकत को अन्ज़ाम दे रहे थे। इस्लामिक मुल्कों से इनको फडिंग हासिल हो रही थी। गौरतलब है कि इन दोनों संगठनों की भूमिका को सीएए के खिलाफ हुए देशव्यापी प्रदर्शनों में पायी गयी थी। बंद की गयी वेबसाइट के लैडिंग पेज से पता लग है कि वेबसाइट को फ्री में तैयार किया गया था। इसे बनाने में जिस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया गया था। वो प्लेटफॉर्म दुनियाभर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के लिए वेबसाइट बनाने का काम करता है। कथित प्लेटफॉर्म की भूमिका अमेरिका में चल रहे आंदोलन ब्लैक लाइव मैटर (Black lives matter) में देखी गयी है।
वेबसाइट में आंदोलन और मुहिम चलाने की काफी विस्तृत जानकारियां दी गयी थी जैसे प्रदर्शनकारी कहां और कैसे इकट्ठा हो, क्या पहने, कैसे आगे बढ़े, पुलिस सख़्ती बरते तो उससे कैसे निपटे, मौजूदा माहौल को कैसे बिगाड़े और हालातों के तनावपूर्ण बनाकर कैसे कानून से बच निकले इत्यादि। इसके अलावा इसमें फर्जी सूचनायें तेजी से कैसे फैलाये, वीडियो-ऑडियो एडिटिंग, फोटोशॉप का इस्तेमाल करके साम्प्रदायिक आपत्तिजनक तस्वीरें (Communal Offensive Photos) तैयार करने से भी संबंधी जानकारियां इसमें मुहैया करवायी गयी थी।
इसके साथ ही पड़ताल में ये भी बात सामने आयी है कि हाथरस में माहौल बिगाड़ने के लिए साजिशकर्ताओं (Conspirators) ने कुछ मीडिया ऑर्गनाइजेशन और सोशल नेटवर्किंग साइट्स का भी इस्तेमाल किया था। फिलहाल इस मामले में चन्दपा थाने के अन्तर्गत एफआईआर संख्या 0151 दर्ज कर ली गयी है। प्राथमिकी में आईपीसी की 19 धारायें और सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम 2008 की धारा 67 लगायी गयी है। डीजीपी के मुताबिक जरूरत पड़ने पर इस प्रकरण की जांच एसटीएफ या साइबर क्राइम (STF or Cybercrime) द्वारा करवायी जा सकती है।