न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): Omicron variant: हर दिन कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच अब एक यूएस हेल्थ एक्सपर्ट (US health expert) ने कहा है कि भारत अगले महीने तक कोविड-19 मामलों की तादाद हर रोज पांच लाख होने की उम्मीद है। इस दौरान कोरोना वायरस की तीसरी लहर अपने पीक पर होगी। भारत में इस बार वैरिएंट की गंभीरता डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant) के मुकाबले बेहद कम होगी।
इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (Institute for Health Metrics and Evaluation-IHME) के निदेशक और वाशिंगटन विश्वविद्यालय में हेल्थ मेट्रिक्स साइंसेज के अध्यक्ष डॉ क्रिस्टोफर म्यूरै (Dr. Christopher Murray) ने कहा कि, “भातर ओमाइक्रोन की तीसरी लहर में प्रवेश कर रहा हैं, जैसा कि दुनिया भर के कई देश में हो रहा हैं, और हमें उम्मीद हैं कि पिछले साल अप्रैल महीने के दौरान डेल्टा वायरस की लहर के बीच जितने मामले रोजाना सामने आ रहे थे, इस बार उन मामलों के मुकाबले रोजाना कई गुना ज्यादा केस सामने आयेगें। लेकिन ओमाइक्रोन बहुत कम गंभीर है।”
उन्होनें आगे कहा कि- इसलिए जबकि आपके पास कई मामले होंगे और शायद मामलों के लिये अलग से रिकॉर्ड बनाना पड़े। इस वेरियंट से कम गंभीरता वाली बीमारी के प्रभाव सामने आयेगें। मौजूदा मॉडल के आधार पर हम ये गणना कर रहे है। तीसरी लहर के दौरान हमें उम्मीद है कि चोटी के दौरान लगभग पांच लाख मामले रोजाना सामने होंगे। अगले महीने के दौरान महामारी की तीसरी लहर को पीक आ जाना चाहिये।
जैसा कि भारत में कई विशेषज्ञ कह रहे हैं कि देश में हाइब्रिड इम्युनिटी (Hybrid Immunity) है, जिसके कारण ओमीक्रोन कम प्रभावी होगा, इस मामले पर डॉ मरे ने कहा कि, “हम दक्षिण अफ्रीका जैसी जगह को जानते हैं, जहां से पहले भी संक्रमण के ज़बरदस्त मामले सामने आते रहे है। इस दौरान डेल्टा और बीटा वेरियंट (Delta and Beta variants) दोनों ने ही अपना प्रकोप फैलाया। टीकाकरण की खुराक गंभीर बीमारी के लिये अस्पताल में भर्ती होने और मौत से काफी हद तक सुरक्षा मुहैया करवाती है, यही वजह है कि हमें लगता है कि भारत में ओमीक्रोन के कई मामले होंगे, लेकिन डेल्टा लहर के मुकाबले बेहद कम लोग अस्पताल में भर्ती होगें और कम ही मौतों का आंकड़ा सामने आयेगा।
अस्पताल में भर्ती होने की तादाद और विविधता के कारण गंभीरता के बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि 85.2 फीसदी संक्रमण के मामलों में कोई लक्षण नहीं होगा। अस्पतालों में और मृत्यु के मामले में कमी आयेगी। इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि भारत में अस्पताल में दाखिले का चरम डेल्टा लहर के मुकाबले एक चौथाई ही होगा और मौतें कम होनी चाहिये जो कि डेल्टा वेरियंट के पीक के दौरान देखी गयी थी।