न्यूज़ डेस्क (शौर्य यादव): आज पीएम मोदी (PM Modi) का 70 वां जन्मदिन है। इस मौके पर देश-विदेश की कई बड़ी हस्तियां उन्हें बधाई दे रही है। भाजपा की क्षेत्रीय इकाईयां और जिला प्रकोष्ठ इस मौके पर सेवा सप्ताह का आयोजन करके प्रधानमंत्री के जन्मदिन का ज़श्न मना रहे है। दूसरी ओर ट्विटर पर प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन को राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस घोषित कर ट्विटर पर ट्रैंड करवाया जा रहा है। इससे जुड़े दो हैशटैग (#राष्ट्रीय_बेरोजगारी_दिवस और #NationalUnemploymentDay) ट्विटर टॉप पर काफी ट्रैंड कर रहे है।
दरअसल पिछले काफी समय से युवा वर्ग खासतौर से छात्रों में मोदी सरकार को लेकर काफी नाराज़गी है। सरकारी नौकरियों में कमी, सरकारी नौकरियों के नतीज़ों की घोषणा में लेटलतीफी, निजीकरण और केन्द्र सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र की कई कंपनियों की खुलेआम बिक्री से युवाओं में बेहद नाराज़गी है। जिसके चलते काफी व्यवस्थित ढ़ंग से इन दोनों हैशटैग्स को प्रधानमंत्री के जन्मदिन के मौके पर ट्रैंड करवाया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर चल रही इस वर्चुअल मुहिम (Virtual drive) को कई विपक्षी राजनीतिक संगठनों (Political organizations) का समर्थन भी हासिल है। इस सांकेतिक विरोध प्रदर्शन के लिए ट्विटर पर जमकर कार्टूनस, मीम्स़ और ग्राफिक्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे पहले भी प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम को यू-ट्यूब पर जमकर नकारा गया था। उस दौरान कार्यक्रम को काफी डिसलाइक किया गया था। जिसे भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कांग्रेस की साज़िश बताया था। साथ ही एक खास राजनीतिक धड़े ने इस कवायद को सोशल मीडिया पर प्रतियोगी परीक्षायें के छात्रों का गुस्सा बताया था।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistics Office -NSO) सेंटर फ़ॉर इंडियन इकोनॉमी (Center for Indian Economy -CMIE) और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और एशियन डेवलपमेंट बैंक द्वारा जारी आंकड़े युवाओं और बेरोजगारों के गुस्से को और भी भड़काते है। हाल ही अप्रैल से जून तिमाही के आंकड़े जारी करते हुए नेशनल स्टेटटिक्स ऑफिस ने बताया कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद 23.9 हो गया जो कि पिछले 40 सालों की सबसे बड़ी गिरावट है। भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े सेंटर फ़ॉर इंडियन इकोनॉमी के आंकड़े बेहद डराने वाले है।
CMIE के मुताबिक मौजूदा सितम्बर महीने के दूसरे हफ़्ते में देशभर में शहरी बेरोजगारी 8.32 दर्ज की गयी है। देश के एक बड़े तबके ने अपनी नौकरियां गवां दी है। तकरीबन 12 करोड़ लोग लॉकडाउन की लचर प्रशासनिक नीतियों के कारण अपना काम धंधा गवां चुके है। इनमें बड़ी तादाद में अन ऑर्गनाइज्ड़ सैक्टर और ग्रामीण परिवेश वाले लोग शामिल है। वेतन पर काम करने वाले ऑर्गनाइज्ड़ सैक्टर के 1.9 करोड़ लोग फिलहाल बेरोजगारी की मार झेल रहे है। ILO और एशियन डेवलपमेंट बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 30 से कम आयु वर्ग के चालीस लाख युवाओं की नौकरियां कोरोना की वज़ह से खत्म हो गयी।
इन्हीं कारणों से लोगों खासतौर से छात्रों में काफी रोष है नतीजन पीएम मोदी के जन्मदिन पर ये दोनों हैशटैग्स ट्रैंड कर रहे है। छात्रों की मांग है कि सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली परीक्षायें और नतीज़े तयशुदा वक़्त पर हो। जिन अर्भ्याथियों ने प्रतियोगी परीक्षायें पास कर ली है उन्हें तुरन्त नियुक्ति दी जाये। वैकेंसी के नोटिफिकेशन (Vacancy notifications) से लेकर नियुक्तियों तक की सारी प्रक्रिया तयशुदा ढंग से पारदर्शी हो। साथ ही कई संस्थानों में बेलगाम फीस हो रही वृद्धि पर केन्द्र सरकार लगाम कसे।