नई दिल्ली (निशांत गुलाटी): हाल ही में दिल्ली सरकार की लापरवाही का एक बड़ा नमूना सामने आया। मामला आजादपुर मंडी के पास बनी बादली की सराय (Badli ki Sarai) से जुड़ा है। ये जगह हैरिटेज साइट (Heritage Site) है, यहां 1857 में 19 ब्रिटिश सैनिकों की समाधि बनायी गयी थी। साल 2015 में बुलडोजर चलाकर इन समाधियों को तोड़ने की कोशिश भी की गयी। उस दफन सैनिकों अवशेष तक बाहर निकल आये थे। कई असामाजिक तत्वों ने इस जगह लगे पत्थर तक उखड़ दिये। जिस पर ऐतराज जताते हुए में ब्रिटिश हाई कमीशन (British High Commission) दिल्ली की सीएम अरविंद केजरीवाल खत लिखा।
ब्रिटिश हाई कमीशन से खत मिलने के बाद दिल्ली सरकार हरकत में आयी और ज़वाबी खत लिखते हुए हाईकमीशन के बादली की सराय का संरक्षण और गार्ड की तैनाती का आश्वासन दिया, लेकिन मौजूदा हालातों में दिल्ली सरकार का दावा खोखला होता दिख रहा है। अभी रानी की सराय पर अवैध कब़्जा (illegal possession) बना हुआ है। कई स्थानीय लोग हैरिटेज साइट पर अतिक्रमण (Encroachment) कर पशुपालन कर रहे है।
बता दे कि इस मामले में ब्रिटिश हाई कमीशन ने 8 अप्रैल 2015 को दिल्ली सरकार खत भेजा था। इसके साथ ही इस मामले के बारे ब्रिटिश अधिकारियों ने तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर (Defence Minister Manohar Parrikar), तत्कालीन सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग और पुरात्तत्व विभाग के महानिदेशक डॉक्टर राकेश तिवारी (Dr. Rakesh Tiwari, Director General, Department of Archeology) को भी अवगत कराया था बावजूद इसके अभी तक इस जगह के बदहाली में कोई बदलाव नहीं आया है।
साल 2015 में ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा भेजे गये खत के साथ सबूत के तौर पर अवैध कब़्जे की फोटो भी दिल्ली सरकार को भेजी गयी थी। जिसमें उन्होनें कहा कि हैरिटेज साइट पर रेहड़ी पटरी वालों का कब्जा हो गया है जिसके कारण समाधियों का ढांचा जर्जर हो गया है। मामले में ब्रिटिश सैनिकों की पावन शहादत का हवाला देते हुए इसके पर्याप्त संरक्षण की गुहार लगायी गयी थी। जिसे दिल्ली सरकार ने पूरी तरह अनसुना कर दिया। चूंकि मामला ब्रिटिश हाई कमीशन से जुड़ा है, इसलिये अगर दिल्ली सरकार अभी भी इस मामले ठोस कदम नहीं उठायेगी तो अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर दिल्ली सरकार की छवि खराब होने के साथ साथ देश की किरकिरी होना तय है।