न्यूज़ डेस्क (शौर्य यादव): हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा आज हिन्दी दिवस (Hindi Diwas 2020) के मौके पर सर मोहम्मद इकबाल की लिखी ये इबारत जुबां पर आ रही है। भारत ऐसा मुल्क है, जहाँ हर कोस पर पानी और वानी (वाणी/उच्चारण/तलफ्फ़ुज़) बदलते रहते है। हिन्दी ऐसी भाषा है जो हमें हिन्दुस्तानी होने के पहचान देती है और वतन को हिन्दुस्तान होने की। इस सबसे बड़ी खूबसूरती है, दूसरी भाषाओं को अपना बनाने का हुनर। हिन्दी का दामन में उर्दू, फारसी, अरबी, अंग्रेजी और दूसरी भाषाओं के शब्दों इसक कदर भरा हुआ है कि, लगता ही नहीं कि कोई भी लफ़्ज दूसरी भाषा से आया हुआ है। हिन्दी का रूप, श्रृंगार, और पहचान हर इलाके में अलग-अलग है। मगही, भोजपुरी, अवधी, मालवी, मैथिली, हाड़ौती, दक्खिनी, मारवाड़ी, ब्रज और मेवाती इसका हर चेहरा अपने आप में इतिहास समेटे हुए है।
तेजी से सिमटी हुई दुनिया में तकरीबन हर छठां शख़्स हिन्दी बोलता है। हिन्दी की सबसे खास बात ये है कि, इसमें जो लिखा जाता है, वहीं बोला भी जाता है। ध्वनियों के मामले में हिन्दी अंग्रेजी के मुकाबले कहीं ज़्यादा आगे है। अंग्रेजी में 26 अक्षर है, जबकि हिन्दी में कुल 52 अक्षर होते है, जिनमें 13 स्वर, 35 व्यंजन, 4 संयुक्त व्यंजन है। इसके साथ ही हिन्दी की 5 उपभाषायें और तकरीबन 16 इसे और मजबूती भी देते है। आजादी मिलने के ठीक दो साल बाद 14 सितम्बर 1949 को इसे राजभाषा का दर्जा दे दिया गया। दिलचस्प तथ्य ये है कि रजवाड़े और रियासतों के दौर में भी हिन्दी के ज़माने में ही इसकी अहमियत का कबूल करते हुए राजभाषा का ओहदा दे दिया गया था। अलवर महाराज जयसिंह ने 15 जून 1931 को अपनी रियासत में हिन्दी को राजभाषा स्वीकारा था। इस बात की पुख़्ता जानकारी अलवर राज घराने के गजट से होती है।
तोता-ए-हिंद के खिताब से विभूषित अमीर खुसरो ने काव्य रचने के लिए हिन्दी का ही सहारा लिया। हिन्दुस्तान से बाहर नेपाल, गुयाना, त्रिनिदाद, मॉरीशस, फिलीपींस, पाकिस्तान, सूरीनाम, और तिब्बत में थोड़े बहुत बदलावों के साथ हिन्दी का इस्तेमाल किया जाता है। मौजूदा वक्त में हिन्दी को एडवरटाइजिंग एजेन्सियां (Advertising Agencies), ओटीटी प्लेटफॉर्म और बॉलीवुड जमकर भुना रहा है। देशभर में युवाओं के बीच यू-ट्यूब और ओटीटी प्लेटफॉर्म (OTT Platform) पर हिन्दी वीडियो देखने का चलन बेतहाशा बढ़ा है। हिन्दी भाषा के शब्द अवतार और कर्म (कर्मा) के पश्चिमी लोग भलीभांति समझते और इस्तेमाल भी करते है। हर साल ऑक्सफोर्ड शब्दकोष (Oxford dictionary) हिन्दी से चुनिंदा और बहुतायत इस्तेमाल करने वाले शब्दों में अपने शब्दकोष में स्थान देता है। हिन्दी को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में कार्यरत प्रोफेसर गोपेश्वर नाथ का कथन है कि, तेजी से बदलती दुनिया में हिन्दी की महत्ता बनाये रखने के लिए इसे नज़र के सामने और ज़िगर के पास होना पड़ेगा, ना कि हृदय के समक्ष और यकृत के निकट। आजकल इसके एक नये स्वरूप हिंग्लिश पर जमकर काम हो रहा है, जिसमें उच्चारण हिन्दी का और लिपि रोमन की इस्तेमाल की जाती है।
आज हिन्दी दिवस के अवसर पर गृहमंत्री अमित शाह ने ट्विट कर लिखा कि- एक देश की पहचान उसकी सीमा व भूगोल से होती है, लेकिन उसकी सबसे बड़ी पहचान उसकी भाषा है। भारत की विभिन्न भाषाएं व बोलियां उसकी शक्ति भी हैं और उसकी एकता का प्रतीक भी। सांस्कृतिक व भाषाई विविधता (Cultural and linguistic diversity) से भरे भारत में ‘हिंदी’ सदियों से पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोने का काम कर रही है। हिंदी भारतीय संस्कृति का अटूट अंग है। स्वतंत्रता संग्राम के समय से यह राष्ट्रीय एकता और अस्मिता का प्रभावी व शक्तिशाली माध्यम रही है। हिंदी की सबसे बड़ी शक्ति इसकी वैज्ञानिकता, मौलिकता और सरलता है। मोदी सरकार की नयी शिक्षा नीति से हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं का समांतर विकास होगा। आज हिंदी दिवस के अवसर पर मैं इसके सशक्तिकरण में योगदान देने वाले सभी महानुभावों को नमन करता हूँ और देशवासियों से यह आवाहन भी करता हूँ कि अपनी मातृभाषा के साथ-साथ हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग कर उनके संरक्षण व संवर्धन में अपना योगदान देने का संकल्प लें। हिंदी दिवस की शुभकामनाएं।
पीएम मोदी ने भी ट्विट कर लिखा कि- हिन्दी दिवस पर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। इस अवसर पर हिन्दी के विकास में योगदान दे रहे सभी भाषाविदों को मेरा हार्दिक अभिनंदन।