न्यूज़ डेस्क (अनंग मंजरी घोष): महाराष्ट्र (Maharashtra) के पालघर (palghar) जिले में दशनामी जूना अखाड़ा के दो साधु भीड़ की हिंसा का शिकार बन गए। पालघर जिलाधिकारी के. शिंदे के मुताबिक मामले में एफ.आई. आर. दर्ज कर 101 स्थानीय ग्रामीणों को 30 अप्रैल तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। साथ ही मामले में नामजद नौ नाबालिग किशोरों को जुवेनाइल कस्टडी में रखा गया है।
गौरतलब है कि, सूरत (Surat) में एक संत का देहावसान हुआ था। जिन्हें समाधिस्थ करने के लिए मुंबई के कांदिवली से दो साधु निकले। सड़क मार्ग से होते हुए जब ये लोग महाराष्ट्र-गुजरात बॉर्डर पर पहुंचे तो नाकेबंदी के कारण इन्हें रोक दिया गया। जिसके बाद इन लोगों ने जंगल के रास्ते से होकर आगे गुजरने का फैसला लिया। इस दौरान पालघर पहुंचने पर अफवाह के चलते इन्हें डकैत और किडनी निकालने वाले गिरोह का सदस्य मानकर समुदाय विशेष के लोगों ने इन पर हमला कर दिया।
घटना महाराष्ट्र पुलिस के सामने घटी, वारदात के वक्त पुलिस ठोस कार्रवाई करने में नाकाम रही, जिसका सीधा खामियाजा दोनों साधुओं को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा। संख्या बल कम होने के कारण मौके पर पहुंची पुलिस अपनी जान बचाकर भागी। जैसे ही घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिले के प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया। मामले पर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कैलाश शिंदे ने बयान जारी करते हुए कहा- पुलिस की मौजूदगी में स्थानीय लोगों की भीड़ साधुओं पर डंडे, ईंट,पत्थर और लाठियों से वार करती रही। दोनों संतो को तुरंत अस्पताल ले जाया गया। जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया। मामले से जुड़े संदिग्ध लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।
मामले पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर लिखा कि- पालघर मामले पर प्रशासनिक कार्रवाई की गई है। जिन्होंने 2 साधुओं, 1 ड्राइवर और पुलिस कर्मियों पर हमला किया था। पुलिस ने वारदात वाले दिन ही उन सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इस अपराध और शर्मनाक कृत्य के अपराधियों को कठोर दण्ड दिया जाएगा।
घटना को लेकर संत समाज में भारी रोष है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने इसका कड़ा विरोध जताते हुए कहा- अगर हत्यारों के खिलाफ प्रभावी कानूनी कार्यवाही नहीं हुई तो, संत समाज महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन करेगा। लॉकडाउन खुलने के बाद हरिद्वार में अखाड़ा परिषद की बैठक कर आगे की विस्तृत रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
कुछ मीडिया संस्थानों ने की पूर्वाग्रहों से भरी रिपोर्टिंग
मॉब लिंचिंग ने मारे गए संत घोषित तौर पर दशनामी जूना अखाड़ा से जुड़े हुए थे। ऐसे में देश के कुछ बड़े मीडिया संस्थानों ने घटना की रिपोर्टिंग करते हुए संतो को चोर बताया और पूर्वाग्रहों से भरी हुई रिपोर्टिंग की। घटना के वीडियो में साफ तौर पर देखा गया कि, पुलिस की मौजूदगी में संत को भीड़ अपना शिकार बना रही है। ऐसे में एक नामी-गिरामी न्यूज़ चैनल की वेबसाइट ने घटना की रिपोर्टिंग करते हुए लिखा कि, “पुलिस को पता चला और तीनों मृत पड़े मिले” इरादतन तौर पर इन नामी मीडिया संस्थानों संतो को बदनाम करने की कोशिश करते हुए समुदाय विशेष को संरक्षण देने का काम किया।
पालघर में हुई इस घटना से देशभर में रोष व्याप्त है। कई हिंदुत्ववादी संगठन इस मामले को लेकर राज्य सरकार को दोषी मान रहे हैं। दोषियों पर न्यायालय किस तरह की सजा मुकर्रर करता है, ये काफी कुछ जिला प्रशासन की रिपोर्ट पर निर्भर करेगा। साथ ही मीडिया को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए पूर्वाग्रहों से भरी रिपोर्टिंग से बचना होगा।