ASI के सरकारी संरक्षण के बावजूद गायब होती ऐतिहासिक इमारतें, संसद में दी गयी जानकारी

नई दिल्ली (शाश्वत अहीर): किसी देश की संस्कृति उसके लोगों की नैतिकता से जानी जाती है। उसी तरह किसी देश का इतिहास उसके स्मारकों से जाना जाता है। भारत एक ऐसा देश है जहां का इतिहास धीरे-धीरे खोता जा रहा है। अक्सर आपने अखबारों में खबरें पढ़ी होंगी कि किसी गांव में खुदाई करने पर सैकड़ों साल पुराने अवशेष मिले हैं या पुराने सिक्के मिले हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI- Archaeological Survey of India) देश की ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण के लिये काम करने वाली एकमात्र -संस्था है।

ये संस्थान भारत में 1861 से सक्रिय है। ताजमहल (Taj Mahal) से लेकर कुतुब मीनार (Qutub Minar) तक जितने भी ऐतिहासिक भवन हैं, उनके संरक्षण का काम यही संस्था करती है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि देश भर में 24 स्मारक एएसआई की देखरेख में होने के बावजूद गायब हो गये हैं। अब ये संस्था कैसे काम कर रही थी, ये सवाल दायरे में हैं।

इसी महीने की 2 तारीख को भारत के सांस्कृतिक मंत्री किशन रेड्डी (Cultural Minister Kishan Reddy) ने संसद में जानकारी दी कि एएसआई द्वारा संरक्षित 24 ऐतिहासिक इमारतें भारत से गायब हो गई हैं। यानि कि देश के इतिहास से जुड़े 24 अहम प्रतीक गायब हो गये हैं। एएसआई तो छोड़िए, ये ऐतिहासिक इमारतें कहां गायब हो गयी हैं, ये किसी को नहीं पता। हमारे पास एएसआई की ओर से संरक्षित लापता ऐतिहासिक इमारतों की एक लिस्ट है। इसमें कई राज्यों की गायब हुई संरक्षित इमारतों की जानकारी है।

– दिल्ली में 2 ऐतिहासिक इमारतें बाराखंबा कब्रिस्तान और इंचला वाली गुमटी गायब हैं।

– फरीदाबाद की 2 ऐतिहासिक ‘दो कोस मीनार’ और हरियाणा के कुरुक्षेत्र से लापता हैं।

– उत्तराखंड के अल्मोड़ा (Almora) का ऐतिहासिक ‘कुटुंबरी मंदिर’ गायब है।

– सतना, मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक शिलालेख गायब है।

– असम के तिनसुकिया में मौजूद सुल्तान शेरशाह की ऐतिहासिक तोपें गायब हैं।

– अरुणाचल प्रदेश में लोहित के ऐतिहासिक ‘तांबा मंदिर’ के अवशेष गायब हैं।

– महाराष्ट्र में पुणे का ‘यूरोपीय मकबरा’ और अगरकोट का ‘1 बुर्ज’ गायब है।

– राजस्थान (Rajasthan) के टोंक के किले में मौजूद ऐतिहासिक शिलालेख और बारां के ’12वीं सदी के मंदिर’ गायब हैं।

– पश्चिम बंगाल का ऐतिहासिक ‘बामनपुकुर किला’ भी गायब है।

ये उन 24 इमारतों में से 13 के नाम हैं जो एएसआई की संरक्षित लिस्ट में शामिल हैं। लेकिन 11 लापता इमारतों की एक और लिस्ट है। इस लिस्ट में मौजूद हर नाम उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों से है। इस लिस्ट में भी आप देख पायेगें कि एएसआई के संरक्षण में कई इमारतें गायब हैं, इनमें ऐतिहासिक मंदिर, मकबरे, बौद्ध मंदिरों के अवशेष और महापाषाण खासतौर से शामिल हैं।

कुल मिलाकर इस सूची में तमाम तरह के ऐतिहासिक प्रतीक हैं, जिन्हें संरक्षित करने की जिम्मेदारी एएसआई के पास थी, लेकिन अब वो गायब हो गये हैं। अब सवाल ये है कि ये किस तरह का संरक्षण है जिसमें देश की पहचान से जुड़े ऐतिहासिक प्रतीक गायब हो जाते हैं और एएसआई को इसका पता तक नहीं चला। सैकड़ों साल पुराने मंदिर, शिलालेख, मीनार सब कुछ गायब हो गया।

एएसआई के संरक्षण में जब कोई ऐतिहासिक इमारत आती है तो माना जाता है कि वो सालों तक सुरक्षित रहेगी। माना जा रहा है कि इन इमारतों की देखरेख एएसआई करता है। लेकिन यहां स्थिति अलग है। यहां की ऐतिहासिक इमारतें संरक्षण में होने के बावजूद गायब हो गयी हैं।

पहली बार साल 2013 में कैग (CAG) ने एएसआई को बताया था कि उनकी 92 इमारतें गायब हैं। ये जानकारी एएसआई के ऑडिट के दौरान मिली। एएसआई ऑडिट के दौरान कैग की टीम ने 3,693 में से 1,655 साइटों का दौरा किया। एएसआई को अब 92 में से 42 इमारतें मिली हैं, जो कि लापता बतायी गयी थीं।

अब सवाल ये है कि ये ऐतिहासिक इमारतें कैसे गायब हो गयी। इस सवाल का जवाब संसद की परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमेटी की 70 पेज की रिपोर्ट में दर्ज है। ये रिपोर्ट साल 2022 के दिसंबर में पेश गयी थी। रिपोर्ट का शीर्षक है “इश्यू रिलेटिंग अनट्रेसेबल मॉन्यूमेंट्स एंड प्रोटेक्शन ऑफ मॉन्यूमेंट्स इन इंडिया”।

इस रिपोर्ट में एएसआई से संरक्षित इमारतों के गायब होने पर सवालों के जवाब दिये गये। इस रिपोर्ट में बताया गया कि साल 2013 में एएसआई के 92 संरक्षित इमारतें गायब हो गयी थी. जिनमें से 12 इमारतें पानी में डूब गयी हैं। 14 ऐतिहासिक इमारतों ने शहरीकरण के आगे घुटने टेक दिये। यानी उनके ऊपर घर, दुकान या सड़कें बना दी गयी हैं। 24 ऐतिहासिक इमारतों को पूरी तरह गायब घोषित कर दिया गया है।

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