न्यूज़ डेस्क (श्रेयसी श्रीधरा): लॉकडाउन (Lockdown) के बीच प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) के पलायन से जुड़े दर्दनाक किस्से सामने आ रहे हैं। काम-धंधा ठप्प होने की वजह से घर पहुंचने की जद्दोजहद में कई मजदूर दुर्घटना का शिकार भी हुए। इस बीच कई प्रवासी मजदूर कड़ा संघर्ष करते हुए घर पहुंचने में भी कामयाब रहे। ऐसा ही एक किस्सा दिलीप (Dileep Carpenter) का है। दिलीप परिवार सहित आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा (Vijayawada of Andhra Pradesh) में रहते हुए बढ़ई का काम करते थे। लॉक डाउन होने की वजह से कारोबार थम गया। शुरुआती दिनों में दिलीप ने किसी तरह डेढ़ महीने तक परिवार संभाला। हालात उस समय और भी खराब हो गए, जब उधार लिए ₹15000 भी खर्च हो गए। ऐसे में घर वापसी के अलावा दिलीप के पास कोई चारा नहीं बचा। 5 साल का बेटा, बेटी और दुधमुंहे बच्चे को लेकर दोनों पति पत्नी Hodna Shine 110 cc पर ढ़ेर सारा सामान लादे 1800 किलोमीटर लंबे सफर के लिए निकल पड़े। विजयवाड़ा में नाकेबंदी (Blockade) के चलते, शहर से बाहर निकलने में दिलीप को सुबह से शाम हो गई। आंध्रा पुलिस (Andhra Police) से बचते-बचाते गलियों के रास्ते हाईवे तक आने में उन्हें 100 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तय करना पड़ा। शाम होते ही जब पूरा परिवार एक पेट्रोल पंप पर पहुंचा तो, पेट्रोल पंप कर्मी (Petrol pump workers) ने उन्हें रात पेट्रोल पंप पर गुजारने को कहा। साथ ही पेट्रोल पंप कर्मी ने आगे के सफर के लिए भी पेट्रोल पंप पर ही रात गुजारने की सलाह दी। ताकि किसी भी अप्रत्याशित दुर्घटना (Unexpected accident) से परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
सफर के दौरान दिलीप विजयवाड़ा, हैदराबाद, जबलपुर, रीवा, प्रयागराज, जौनपुर, आजमगढ़ (Azamgarh) होते हुए गोरखपुर पहुंचे। रास्ते भर में उन्हें पुलिस, स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाओं (Voluntary organizations) का सहयोग मिला। दिलीप रोजाना सुबह 5 बजे से दोपहर 12 बजे तक लगातार बाइक चलाते रहे। इस दौरान उन्होंने पेट्रोल पंप पर रातें काटी। इस तरह दिलीप 21 मई को गोरखपुर (Gorakhpur) स्थित अपने गांव जंगल औराही पहुंच गए।
फिलहाल दिलीप और उनके परिवार को स्थानीय प्रशासन (Local administration) के सहयोग से चल रहे क्वॉरेंटाइन सेंटर (Quarantine Center) में रखा गया है। जहां उनकी मेडिकल स्क्रीनिंग (Medical Screening) हुई,14 दिनों के क्वॉरेंटाइन पीरियड (Quarantine period) को पूरा करके वे अपने परिवार के साथ रह पाएंगे।
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