White Phosphorus Bomb: आखिर कितना खतरनाक है सफेद फॉस्फोरस बम, जिसका कथित इस्तेमाल कर रहा है क्रेमलिन

टेक डेस्क (यामिनी गजपति): बढ़ते तनाव के बीच यूक्रेन के एक आला पुलिस अधिकारी ने रूसी सेना पर लुगांस्क के पूर्वी इलाके में फॉस्फोरस बम (White Phosphorus Bomb) हमले शुरू करने का आरोप लगाया। अंतर्राष्ट्रीय कानून (International Law) भारी आबादी वाले नागरिक क्षेत्रों में सफेद फॉस्फोरस के गोले के इस्तेमाल पर रोक लगाता है, लेकिन उन्हें खुली जगहों पर सैनिकों के लिये कवर के रूप में इस्तेमाल करने की मंजूरी है।

पोपसना के पुलिस प्रमुख ओलेक्सी बिलोशित्स्की (Oleksiy Biloshitsky) ने फेसबुक पर लिखा कि, “ये वही है जिसे नाजियों ने ‘जलता प्याज’ कहा था और यही रूसवादी (‘रूसी’ और ‘फासीवादियों’ का मिलाजुला रूप) हमारे शहरों पर गिर रहे हैं। पोपसना लुगांस्क शहर के पश्चिम में लगभग 100 किलोमीटर (60 मील) की दूरी पर है।

रोम कन्वेंशन (Rome Convention) के मुताबिक फॉस्फोरस बमों के साथ नागरिक शहर की बमबारी युद्ध अपराध और ये मानवता के खिलाफ अपराध है। ये दावा किया जाता है कि बीते रविवार (13 मार्च 2022) को रूस ने पूर्वी लुहांस्क इलाके के पोपासना शहर पर रात भर के हमले में प्रतिबंधित फास्फोरस हथियारों का इस्तेमाल किया।

सफेद फास्फोरस को आग लगाने के लिये इस्तेमाल किया जाता है। इंसानी शरीर के सम्पर्क में आने पर ये अपना खतरनाक असर दिखाता है। फॉस्फोरस हवा के संपर्क में आने पर 800 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जलता है। ये वियतनाम युद्ध में इस्तेमाल किये गये नेपलम की तरह है, सफेद फास्फोरस खुद ऑक्सीकरण (Oxidation) करता है। जब सफेद फास्फोरस इंसानी त्वचा के संपर्क में आता है तो ये थर्मल और रासायनिक दोनों तरह से जल सकता है।

एक बार त्वचा को छूने के बाद इसे असर से बाहर निकालना लगभग नामुमकिन है, जिससे भारी चोटें लगती हैं और कभी-कभी मौत भी हो जाती है।

ये त्वचा के संपर्क में आने पर कई तरह के कैमिकल बनाता है जैसे कि फॉस्फोरस पेंटोक्साइड (Phosphorus Pentoxide)। फॉस्फोरस पेंटोक्साइड त्वचा में पानी के साथ रिएक्शन करता है और फॉस्फोरिक एसिड पैदा करता है जो कि बेहद जलन पैदा करता है। ये त्वचा के ऊतकों को अंदर तक जला देता है। खास बात ये भी कि इंसानी त्वचा इसे बेहद तेजी के साथ सोखती चली जाती है। जिससे कि अंदरूनी अंग को सीधा नुकसान होता है। सफेद फास्फोरस के कण घाव में लंबे समय तक रह सकते हैं और हवा के संपर्क में आने पर ये फिर से शुरू नुकसान पहुँचाना शुरू कर देते है।

अंतर्राष्ट्रीय कानून भारी आबादी वाले इलाकों में सफेद फास्फोरस के गोले के इस्तेमाल पर रोक लगाता है लेकिन खुले जगहों में सैनिकों के लिये कवर के तौर पर इस्तेमाल किये जाने की मंजूरी है। रोम कन्वेंशन के मुताबिक फॉस्फोरस बमों के साथ नागरिक शहर पर बमबारी मानवता के खिलाफ अपराध है।

रेड क्रॉस (Red Cross) की अंतर्राष्ट्रीय समिति के मुताबिक एक बार जलने के बाद बमों में फास्फोरस 800 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान पर जलता है। जब बमों में फास्फोरस को जलाया जाता है, तो ये तेजी से आग पकड़ लेता है, जो कई सौ वर्ग किलोमीटर में फैल सकता है।

1977 के जिनेवा कन्वेंशन के अतिरिक्त प्रोटोकॉल ने सफेद फास्फोरस को जंगी हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी, अगर ये नागरिकों के लिये खतरा पैदा करते हैं। फॉस्फोरस बमों का इस्तेमाल युद्ध के मैदानों में धुएं की स्क्रीन बनाने, रोशनी पैदा करने, टारगेट्स की पहचान करने या बंकरों और इमारतों को जलाने के लिये किया जा सकता है।

अगर लोगों के खिलाफ फॉस्फोरस हथियारों का इस्तेमाल किया जाता है तो उन्हें रासायनिक हथियार (Chemical weapon) के तौर पर क्लासीफाइड किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत ये आग लगाने वाला हथियार है। रूस ने साल 1997 में रासायनिक हथियार सम्मेलन को स्वीकार किया और इसलिये अंतर्राष्ट्रीय कानून द्वारा नागरिक इलाकों में फॉस्फोरस हथियारों का इस्तेमाल नहीं करने के लिये बाध्य किया गया।

इराकी शहर फालुजा में साल 2004 के समुद्र से किये हमले में अमेरिकी नौ-सेना ने भी इसका इस्तेमाल किया था। सफेद फास्फोरस को अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा आग लगाने वाले या रासायनिक हथियार के तौर पर क्लासीफाइड नहीं किया गया है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र (United Nations) इसे ऐसा मानता है।

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