न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): Hyderabad Dog Attack: जानवर हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में खास भूमिका निभाते हैं और उन्हें समाज का अहम हिस्सा माना जाना चाहिये, लेकिन जब ये जानवर इंसानों और आपके अपनो पर हमला करना शुरू करते हैं, तो क्या उन्हें खतरा माना जाना चाहिये?
हैदराबाद के अंबरपेट (Amberpet) में एक चार साल के मासूम बच्चे को आवारा कुत्तों के झुंड ने घेर कर मार डाला। छोटा बच्चा मदद के लिए चिल्लाता रहा और दर्द से चिल्लाता रहा क्योंकि पागल कुत्तों के झुंड ने उसके अंग-अंग को फाड़ दिया, लेकिन बच्चे को न तो किसी इंसान ने बचाया। कुत्ते बच्चे को जमीन पर घसीटने लगे उसकी गर्दन और पैर पकड़ कर। इन आवारा कुत्तों के हमले से चार साल के मासूम की तड़प-तड़प कर मौत हो गयी।
कुत्तों के हमले मारे गये मासूम बच्चे का नाम प्रदीप है और उसके पिता एक कार रेंटल सर्विस में सुरक्षा गार्ड का काम करते हैं। बीते रविवार (19 फरवरी 2023) को वो अपने बेटे को साथ लेकर काम पर गया था। बेटे को केबिन में छोड़कर उसके पिता किसी काम से बाहर गये हुए थे। बच्चा केबिन से बाहर निकला तभी तीन कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया। इसके बाद तीन कुत्ते और आ गये। और फिर छह आवारा कुत्तों ने मिलकर एक मासूम बच्चे को मार डाला। गरीब सिक्योरिटी गार्ड के मासूम बेटे बच्चे की मौत की जिम्मेदारी कौन लेगा? जबकि लोग दोष देने के लिये शख्स की तलाश करते हैं।
हमारे देश का संविधान कहता है कि देश में रहने वाले हर इंसान और जानवर को जीवन जीने का अधिकार है। लेकिन सवाल ये है कि क्या आवारा कुत्तों के अधिकार लोगों के मानवाधिकारों से बड़े हैं। अगर आप ये सवाल पशु प्रेमियों से पूछेंगे तो शायद वो यही कहेंगे कि कुत्तों के ज्यादा अधिकार होते हैं। लेकिन जब आप उनसे पूछेंगे कि किसी की मौत के लिये आवारा कुत्ते जिम्मेदार हैं या उनका साथ देने वाले लोग, तो वे चुप हो जाते हैं।
कुत्तों की जान की कीमत पर मानव जीवन को खतरे में डालना महापाप है। महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने बहुत साफतौर पर कहा था कि आवारा कुत्तों को मारना पाप है लेकिन आवारा हिंसक कुत्तों को न मारना उससे भी बड़ा पाप है। महात्मा गांधी का मानना था कि – आवारा कुत्ते समाज में सभ्यता या दया की निशानी नहीं हैं, बल्कि समाज की अज्ञानता और आलस्य की निशानी हैं।