बीते टी20 विश्व कप (ICC T-20 World Cup) फाइनल में कई भारतीय फैंस ने निराश होकर चाहा होगा कि भारत ऑस्ट्रेलिया के बजाय ये विश्व कप जीते। ऐसे में हम आपको बताएंगे कि टीम इंडिया ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम (Australian Cricket Team) से क्या सीख सकती है। अब तक भारत के ज्यादातर खिलाड़ी अपने-अपने घर पहुंच चुके होंगे और अपने परिवारों के साथ समय बिता रहे होंगे। लेकिन उन्हें आज ऑस्ट्रेलिया से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।
ऑस्ट्रेलिया की टीम को विश्व क्रिकेट का धुंरधर कहा जाता है, यानि एक ऐसी टीम जिसे आसानी से हराया नहीं जा सकता। ऑस्ट्रेलिया वो टीम है जिसने पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा (आठ) आईसीसी ट्राफियां जीती हैं। इनमें से ये टीम पांच बार वनडे वर्ल्ड कप जीत चुकी है, दो बार आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी (ICC Champions Trophy) जीत चुकी है और अब टी20 वर्ल्ड कप भी पहली बार ऑस्ट्रेलिया ने जीत दर्ज की है।
ऑस्ट्रेलिया ने न सिर्फ कामयाबी हासिल की है बल्कि सफलता के मानक भी स्थापित किये हैं। फाइनल मुकाबले के दौरान ज्यादातर लोगों ने ऑस्ट्रेलिया की हार और न्यूजीलैंड की जीत की दुआ की होगी। ये भी है कामयाबी का पैमाना, ऐसे बनो कामयाब हो कि दुनिया आपके हारने का इंतजार करे और आप अपने दम और हुनर की बुनियाद पर जीतते रहें। टीम इंडिया और हमारे खिलाड़ियों में कामयाबी की इतनी भूख आपने नहीं देखी होगी।
जब ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की टीमें फाइनल मैच खेल रही थीं तो ऐसा लग रहा था कि दो महान टीमें महान खिलाड़ियों के साथ मैदान पर उतरी हो। ये थे मैदान पर दुनिया के बेहतरीन 22 खिलाड़ी। जिस टीम के बेसिक्स मजबूत हों, वो टीम कितना अच्छा खेलती है, ऑस्ट्रेलियाई टीम ने दुनिया को दिखाया और न्यूजीलैंड की टीम ने भी इसे साबित किया।
न्यूजीलैंड की टीम हार गई, लेकिन इस हार में भी यह उनकी जीत थी। उन्होंने पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया को 173 रनों का लक्ष्य दिया, जो कोई छोटा लक्ष्य नहीं था। इस मैच में न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन (Captain Kane Williamson) ने टी20 वर्ल्ड कप फाइनल के इतिहास में सबसे तेज अर्धशतक लगाया। उन्होंने 32 गेंदों में 50 रन बनाये। लेकिन इस मैच में ये रिकॉर्ड भी टूट गया और ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर मिशेल मार्श (Michelle Marsh) ने 31 गेंदों में 50 रन बनाये।
कंसिस्टेंसी क्या है और कैसे जीत की कोशिशें की जाती हैं, इन दोनों टीमों ने फाइनल मुकाबले में दुनिया को ये बताया। और अगर टीम इंडिया चाहे तो खेल के प्रति ये समर्पण और प्रयास इन दोनों टीमों से सीखा जा सकता है। सीखा जा सकता हैं कि सबसे बेस्ट होने क्या मायने होते है।
कई बार जब हम टीम इंडिया को देखते हैं तो ये कंसिस्टेंसी नदारद नज़र आती है। जब पूरी टीम 100 रन पर आउट हो जाती है तो कहा जाता हैं कि आज हमारा दिन नहीं था और जब टीम 200 रन बनाती है तो कहा जाता हैं कि आज टीम इंडिया का दिन था। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के साथ ऐसा नहीं है उन्होनें टी20 विश्व कप में बदलाव नहीं बल्कि हासिल की।
इस पूरे विश्व कप के दौरान ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खेल को गौर से देखेंगे तो ऐसा लगेगा कि ये दोनों टीमें रन मशीन हैं। जिनके लिए क्रिकेट से ऊपर कुछ भी नहीं है। वहीं दूसरी ओर भारत के खिलाड़ियों को देखकर लगता है कि उन्हें अभी भी अपनी शारीरिक और मानसिक फिटनेस पर काफी काम करने की जरूरत है।
ऑस्ट्रेलिया में क्रिकेट सबसे लोकप्रिय खेल नहीं है बल्कि पॉपलुर खेल घुड़दौड़ है। लोग वहां क्रिकेट मैच देखने नहीं जाते लेकिन वहां हॉर्स रेसिंग, रग्बी और मोटर स्पोर्ट्स जैसे इवेंट सबसे ज्यादा देखे जाते हैं। लेकिन इसके बावजूद सबसे ज्यादा आईसीसी खिताब ऑस्ट्रेलिया की टीम के नाम है।