न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के एक अध्ययन में दावा किया गया है कि कोविड-19 (Corona) की दूसरी लहर के दौरान बुरी तरह प्रभावित जिलों में घातक वायरल बीमारी की तीव्र तीसरी लहर का सामना करने की संभावना नहीं है।
आईसीएमआर के विशेषज्ञों ने कहा कि राज्यों को तीसरी लहर पर अंकुश लगाने के लिए बेहतर कदम उठाने के लिए जिला स्तर पर विषमताओं का आकलन (Assessment Of Disparities) करना चाहिए। विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए आकलनों में प्रसार और जनसंख्या में भिन्नता का अध्ययन खासतौर से शामिल है।
इस मामले पर वरिष्ठ महामारी विज्ञानी और ICMR के महामारी विज्ञान और संचारी रोग प्रभाग (Communicable Diseases Division) के प्रमुख समीरन पांडा ने कहा कि पूरे राज्य में तीसरी लहर के बारे में बात करना फिलहाल आकलन के तौर पर मददगार नहीं हो सकता, क्योंकि सभी जिलों ने समान रूप से दूसरी लहर का अनुभव नहीं किया। हमें जिला स्तर के संक्रमण नियंत्रण और प्रबंधन के बेहतर कार्यक्रमों की दरकार है।
पांडा के मुताबिक महाराष्ट्र और अन्य राज्य जो दूसरी लहर का खामियाजा भुगत रहे हैं, उन्हें जिला स्तर की विविधता को देखने के लिए अध्ययन करना चाहिए क्योंकि इससे इन राज्यों को इलाके और जनसंख्या के आधार पर उपयुक्त नीतियां तैयार करने में मदद मिलेगी।
इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को राज्यों से उन जिलों में सख्त प्रतिबंध लागू करने को कहा, जहां कोविड-19 की सकारात्मकता दर 10 प्रतिशत से ज़्यादा है। मंत्रालय ने राज्यों को इन जिलों में लोगों की भीड़ और आपस में मिलने से रोकने के लिये प्रभावी उपाय (Effective Measures) लागू करने के निर्देश दिये।
केंद्र सरकार ने अपने हालिया बयान में कहा कि, 10 राज्यों में कोविड-19 मामलों में इज़ाफा, पॉजिटिविटी रेट बढ़ोत्तरी और कोरोना की संभावित तीसरी लहर की पुख़्ता संभावनायें देखी जा रही है। जो कि चिंता का सब़ब है। केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा, असम, मिजोरम, मेघालय, आंध्र प्रदेश और मणिपुर ऐसे 10 राज्य हैं जो कोविड-19 मामलों के बढ़ते पैटर्न का साफ दिखा रहे है।