न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): केन्द्र सरकार द्वारा जारी नए वेतन नियम के प्रावधानों के मुताबिक, अगर कोई कर्मचारी अपने ऑफिस में ऑफिशियल काम 15 मिनट से 30 मिनट से ज़्यादा कर लेता है तो इसके आधे घंटे का ओवरटाइम (Overtime) माना जायेगा। जिसके लिए संस्थान को नियमित वेतन से दुगुना भुगतान कर्मचारी को करना होगा। खब़रों के अनुसार नए वेतन कोड में 12 घंटे के दैनिक कार्य का प्रस्ताव रखा गया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार काम के घंटों 8 घंटे तक ही सीमित रखा गया है। अगर कोई भी कर्मचारी इस तयशुदा कार्यावधि (Fixed Working hours) के बाद काम करता है तो इसे ओवरटाइम माना जाएगा।
इसे साधारण शब्दों में नये वेतन नियम के अनुसार अगर कोई कर्मचारी 8 घंटे के बाद 15 मिनट भी काम कर लेता है तो, उसे आधे घंटे का ओवरटाइम माना जायेगा। इस कार्यावधि को यानि आधे घंटे के अतिरिक्त भुगतान को कर्मचारी की तनख्वाह में जोड़कर दिया जायेगा। द इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक प्रशासनिक अधिकारी अभी इस योजना को लागू करने पर विचार कर रहे है। जिससे उन कर्मचारियों को भारी राहत मिल सकेगी, जो कि अक्सर कार्यावधि से ज़्यादा काम करते है। निर्धारित कार्यावधि से बाहर जाकर काम करने का चलन अक्सर निजी क्षेत्रों में ज़्यादा है। ऐसे में निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को अतिरिक्त भुगतान भी नहीं मिल पाता है।
द इकोनॉमिक टाइम्स में छपी इस खबर को एक तरह से स्पष्टीकरण माना जा रहा है। नए वेतन बिल को लेकर लोगों में तरह-तरह की भ्रान्तियां और अफवाहें फैली हुई थी। खासतौर से कार्यावधि के घंटों को लेकर। द कोड ऑन वेज बिल 2019 (The Code on Wage Bill 2019) पिछले साल (2019) लोकसभा में जुलाई और राज्यसभा में अगस्त महीने के दौरान पारित किया गया था। विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये अधिनियम बन जाएगा। इस अधिनियम में चार अधिनियमों को शामिल कर एकीकृत किया गया है। जिनमें शामिल है, 71 साल पुराना न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, पेमेंट ऑफ बोनस एक्ट 1965, समान पारिश्रमिक अधिनियम संहिता 1976. चार अधिनियमों को एक करने वाला ये देश का पहला कोड होगा।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय का मकसद है, दूसरे राष्ट्रीय श्रम आयोग का सिफारिशों को लागू करना। जिसकी मदद से विभिन्न श्रम कानूनों को सरल और युक्तिसंगत बनाने के लिए संशोधित करना है। श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) संतोष कुमार गंगवार के अनुसार मजदूरी पर ये संहिता एक ऐतिहासिक विधेयक है। जो संगठित और साथ ही असंगठित क्षेत्र के लगभग 50 करोड़ श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी के लिए वैधानिक संरक्षण और मजदूरी का समय पर भुगतान सुनिश्चित करेगा।