इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) की पहली महिला चीफ इकनॉमिस्ट गीता गोपीनाथ ने काफी चौंकाने वाला खुलासा किया है। उनके मुताबिक जो वैश्विक आर्थिक विकास होने चाहिए थे, वो नहीं हुए जिसके लिए 80 फीसदी भारत सीधे तौर पर जिम्मेदार है। ये Global Economic Slowdown की एक अहम वज़हों में से एक है। गौरतलब है कि गीता गोपीनाथ इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) की पहली महिला चीफ इकनॉमिस्ट है।
बीते सोमवार दावोस में सम्पन्न हुई वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (WEF) के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होनें कहा कि- वित्तीय वर्ष 2019 में ग्लोबल इकनॉमी डेवलपमेंट का आंकडा 2.9 से गति आगे बढ़ रहा था, और ये विकास दर मौजूदा साल में 3.3 फीसदी रहने की संभावना है। पिछले साल की तुलना में ये आंकड़ा इस साल के अक्टूबर महीने तक 0.1 फीसदी रहेगा।
Global Economic Slowdown के हवाले से भारत की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था से जुड़े सवाल के जवाब में गीता ने कहा- ये सीधा सा समीकरण है, भारत ने इन हालातों को बनाने में 80 फीसदी का योगदान दिया है। अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के सवाल पर उन्होनें कहा, भारत इससे धीरे-धीरे उबरने की ओर अग्रसर है। देश में अच्छा खास नगदी प्रवाह है और साथ ही कॉरपोरेट टैक्स पर छूट भी। ये तरीके आर्थिक संकट से उबारने में कारगर है। इन असर अगले वित्तीय वर्ष में देखने को मिल सकता है।
नगदी संकट और डेब्ट अनुपात में कमी का जिक्र करते हुए उन्होनें कहा- इस खास ध्यान देने की जरूरत है, लेकिन इस प्रक्रियागत सुधार के दौरान एनपीए जैसी वित्तीय समस्याओं से बचना होगा।
दूसरी ओर इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड ने ग्लोबल ग्रोथ की दर 4.8 फीसदी रहने की उम्मीद जतायी है। भारत सहित दूसरे अन्य देशों की विकासदर को तय अनुपात और अनुमानित गति से कम बताया। इस कार्यक्रम के दौरान IMF ने कारोबारी व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव की बात भी कहीं। इसके साथ ही भारत सहित दूसरे विकासशील देशों की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था की गति के स्तर में नकारात्मक गिरावट की बात भी कही। IMF के अनुमान के मुताबिक भारत की आर्थिक विकास दर साल 2019 के लिए 4.8 रहनी चाहिए थी, पर वास्तव में ये 2.9 फीसदी पर आकर टिक गयी। मौजूदा हालातों के देखते हुए 2020 में ये 3.3 की दर से आगे जायेगी। साल 2021 में इसमें आये सुधार साफ दिखेगें और आर्थिक विकास दर 3.4 फीसदी के आस-पास रहने की संभावना है।
जैसी ही ये खब़र मीडिया में आयी तो #BJPLeDoobi ट्विटर ट्रैंड करने लगा। कांग्रेस सहित आम लोगों ने केन्द्र सरकार को कमजोर आर्थिक नीतियों के लिए जमकर लताड़ा।