एजेंसियां/न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान ने अफगानिस्तान (Afghanistan) में मानवीय संकट पैदा करने के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका को दोषी ठहराया है। जिससे लाखों लोगों पर सीधा असर पड़ रहा है। मौजूदा हालातों में कई अफगानों की ज़िन्दगी बद से बदतर करने की ठीकरा भी उन्होनें वाशिंगटन (Washington) के माथे मढ़ा। डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने कहा कि, “ये जानते हुए भी कि अगर (अफगानिस्तान के) खाते (अमेरिका में) डीफ्रीज हो जायें और उनकी बैंकिंग प्रणाली (Banking System) में नकदी डाल दी जाये, तो इसे टाला जा सकता है।”
प्रधान मंत्री इमरान खान ने बीते मंगलवार (22 दिसंबर 2021) को इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के विदेश मंत्रियों की परिषद के समारोह के दौरान ये बात कही। दूसरी ओर अफगानिस्तान में बिगड़ती आर्थिक स्थिति के बीच संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (US Secretary of State Antony Blinken) ने मंगलवार ने कहा कि वाशिंगटन अफगान अर्थव्यवस्था में ज़्यादा लिक्विडिटी (More Liquidity In The Economy) लाने के तरीकों पर गहराई से विचार कर रहा है ताकि नकदी की तंगी से जूझ रहे लोगों को धन मुहैया कराया जा सके।
ब्लिंकन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि- “हम लोगों की जेब में ज़्यादा पैसा लाने के लिये अफगान अर्थव्यवस्था में ज़्यादा कैश लिक्विडिटी लाने के तरीकों पर गहराई से विचार कर रहे हैं। और ऐसा करते हुए अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ अन्य देशों और भागीदारों के साथ मिलकर सही सिस्टम स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारा ध्यान लगातार इस पर है कि जारी किया गया पैसा तालिबान के पास ना जाकर सीधे लोगों के जाये”
उन्होंने अफगानिस्तान में कठिन मानवीय हालातों के बारे में अमेरिकी पक्ष रखते हुए कहा कि- "हम इस तथ्य को लेकर बहुत सचेत हैं कि वहां अविश्वसनीय तौर पर कठिन मानवीय स्थिति है, ये हालात सर्दियों के आने के साथ और भी खराब हो सकते है, और इसलिये ये हमारे लिये गहन ध्यान का क्षेत्र है। हमें सहयोगियों और भागीदारों के साथ मिलकर काम करना"
अमेरिकी विदेश मंत्री आगे ने कहा कि , "मैं अभी अफगानिस्तान के हालातों पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं, जिसमें मानवीय हालात खासतौर से शामिल है। हम अफगानिस्तान को बड़ी मानवीय सहायता मुहैया कराने वाले एकमात्र देश है" बता दे कि तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया था और इसके बाद देश गहराते आर्थिक, मानवीय और सुरक्षा संकटों से जूझ रहा है।
विदेशी मदद रूकने, अफगान सरकार की संपत्ति को जब्त होने और तालिबान पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों के लगने से अफगानिस्तान में गरीबी काफी बढ़ गयी है। जिससे देश बड़े आर्थिक संकट की ओर बढ़ता दिख रहा है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, सरकारों से लेकर गैर-सरकारी संगठनों तक अफगान लोगों को मदद मुहैया करवाता रहा है।
बीते अगस्त महीने में घोषित तालिबान (Taliban) द्वारा सामान्य माफी के बावजूद कई रिपोर्टों में कहा गया है कि पूर्व अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा बलों और पूर्व सरकार से जुड़े कई लोगों बड़े पैमाने पर हत्यायें हुई, जिनकी तादाद सौ से ऊपर जा चुकी है। इनमें कम से कम 72 हत्याओं के लिये तालिबान को जिम्मेदार ठहराया गया और कई मामलों में लाशों को सार्वजनिक तौर लटकाया गया।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक जब शिक्षा, आजीविका और अवसरों में भागीदारी के साथ सम्मान की बात आती है तो महिलाओं और लड़कियों को बड़ी अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है। करीब 42 लाख युवा अफगान पहले से ही स्कूल से बाहर हैं, उनमें से ज्यादातर लड़कियां हैं।