एजेंसियां/न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): इमरान खान (Imran Khan) पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहने के दौरान विदेशी राजनेताओं से मिले सरकारी उपहारों को बेचने का आरोप है। इस मामले में लाहौर हाईकोर्ट (Lahore High Court) ने उन्हें कई बार समन भेजा, लेकिन वो कोर्ट के सामने पेश नहीं हुए। इसलिए अदालत ने तोशखाना मामले (Toshakhana Case) में उनके लिये गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया।
लेकिन जब इस्लामाबाद पुलिस (Islamabad Police) उन्हें गिरफ्तार करने लाहौर पहुंची तो इमरान खान ने गिरफ्तारी से बचने के लिये अपने समर्थकों को आगे भेज दिया। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने लाहौर में उनके आवास जमान पार्क के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इमरान खान के समर्थकों और पुलिस के बीच जमकर झड़प हुई। पुलिस ने जब समर्थकों पर आंसू गैस के गोले दागे तो भीड़ ने भी पथराव कर जवाबी हमला किया।
पाकिस्तान के पूर्व पीएम को गैस मास्क में अपने समर्थकों के साथ बातचीत करते हुए देखा गया, जब सुरक्षा बल उनके घर के आसपास से हट गये थे। पीटीआई कार्यकर्ताओं ने जमां पार्क के बाहर जश्न मनाया क्योंकि कानून प्रवर्तन एजेंसियां पीछे हट गयी। पाकिस्तानी पुलिस के मुताबिक, पाकिस्तान सुपर लीग (Pakistan Super League) क्रिकेट मैचों में बंदोबस्ती ड्यूटी में उन्हें तैनात कर दिया गया, इसलिये उन्होनें कोर्ट के हुक्म की तामील करने के लिये ऑपरेशन को रोक दिया।
पूरा मामला भ्रष्टाचार का है। पीएम बनते ही इमरान खान न्यू पाकिस्तान का नारा भूल गये। इमरान खान सस्ते दामों पर महंगें सरकारी तोहफे खरीदने के लिये निशाने पर रहे हैं, जिसमें एक महंगी ग्रेफ कलाई घड़ी भी शामिल है, जो उन्हें तोशखाना सरकारी डिपॉजिटरी (Government Depository) से रियायती दामों पर प्रधान मंत्री के तौर पर मिली थी और उन्होनें इसे मुनाफा कमाने के लिये बेच दिया। और जब मामला कोर्ट तक पहुंचा तो इमरान खान अब अपने समर्थकों के पीछे छिप गये।
सऊदी अरब के राजकुमार मोहम्मद बिन सलमान (Prince Mohammed bin Salman of Saudi Arabia) ने रियाद (Riyadh) की अपनी यात्रा के दौरान इमरान खान को सोने से बनी और हीरे से जड़ी 16 करोड़ रुपये की कीमती घड़ी उपहार में दी थी।
क्रिकेटर से नेता बने 70 वर्षीय पूर्व क्रिकेटर को पिछले साल अप्रैल में अविश्वास मत हारने के बाद सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। सत्ता से बेदखल होने के बाद से इमरान खान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Prime Minister Shahbaz Sharif) की अगुवाई वाली सरकार को इम्पोर्टिड गवर्नमेंट का तमगा दिया और साथ ही मुल्क में जल्दी चुनाव कराने की मांग अड़े रहे।