मेरे विचार से दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की हार, दिल्ली प्रदेश की नाकामी है ना कि राष्ट्रीय पदाधिकारियों (National officials) की चुनाव प्रचार (Election Campaign) बहुत खराब था आम आदमी पार्टी की तुलना में। इसमें कोई शक नहीं आम आदमी पार्टी की जीत में प्रशांत किशोर
ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई। अगर भाजपा के पास चुनाव प्रचार की अच्छी योजना होती तो लोगो ने उन्हें वोट ज़रूर दिया होता। अगर मैं इसे सरल शब्दों में समझा जाये तो बीजेपी उस केजरीवाल (Kejriwal) को बेनकाब नहीं कर सकी।
दिल्ली के लोगों को विज्ञापनों के माध्यम से गुमराह किया गया, थीम सॉन्ग स्लोगन जैसे कि ‘लगे रहो केजरीवाल (Lage Raho Kejriwal)’, डोर-टू-डोर और इसके साथ ही कई अन्य रणनीतियाँ। बीजेपी जितना वोट ला पायी। सब अमित शाह के प्रयासों के कारण था कि, भाजपा ने आखिर तक टक्कर दी।
संक्षेप में अगर कहूँ तो “जो दिखता है वही बिकता है” और प्रशांत किशोर ने सब कुछ बेच दिया (वोटों हासिल करने के लिए) सारे प्रोडक्ट (प्रत्याशी) आम आदमी पार्टी के, एक बेहतरीन मार्केटिंग (Great Marketing) तकनीकों के साथ। भाजपा को आज जरूरत है कि, नये लोगों को राजनीति में मौका दे। ऐसे लोगों को जो समाज़ में ज़मीनी स्तर पर काम करते है। जिस पर लोग भरोसा कर सके। और जो इलेक्शन (Election) के वक़्त भी एक आम आदमी की तरह सबके बीच जा सके। जो लोगों को अपने पक्ष में रखने की क्षमता रखता हो। आम जनता (General public) उसे अपने परिवार का सदस्य मानकर जरूर वोट करेगें।
तब ही भाजपा के जितने मुद्दे है। उन चीज़ों को लोग समझेगें और सही गलत में अन्तर समझ में आयेगा।
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