न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): आयकर विभाग (Income Tax) ने महाराष्ट्र में स्थित एक शहरी सहकारी ऋण बैंक (Urban Co-operative Credit Bank) के हेडक्वार्टर और उसके कई शाखाओं में तलाशी और जब्ती (Search And Seizure) अभियान चलाया। इस दौरान इंकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 53.72 करोड़ रुपये के लेने पर रोक लगायी। साथ ही ये जानकारी आयकर विभाग ने आज (6 नवंबर 2021) केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को भी दी। सीबीडीटी के मुताबिक चेयरमैन और उसके एक निदेशक के घर की भी तलाशी ली गयी।
सीबीडीटी ने कहा कि कोर बैंकिंग सॉल्यूशंस (सीबीएस) पर बैंक डेटा के विश्लेषण और तलाशी कार्रवाई के दौरान दर्ज किये गये कई बड़े खाताधारकों के बैंक खाते खोलने में ये अनियमिततायें सामने आयी हैं। इन शाखाओं में बिना पैन नंबर लिये 1200 से ज़्यादा नये बैंक खाते खोले गये। जांच से पता चला है कि ये बैंक खाते केवाईसी मानदंडों (KYC norms) का पालन किये बगैर खोले गये थे। साथ ही खोले गये खातों के फॉर्म बैंक कर्मचारियों द्वारा भरे गये हैं और उन्होंने अपना हस्ताक्षर/अंगूठा लगाया है।
सीबीडीटी (CBDT) ने ये भी पाया कि इन खातों में 1.9 लाख रुपये की राशि कई बार जमा की गयी। इसी सिलसिले में कुल 53.72 करोड़ रुपये जमा किये गये। इस क्रम में 700 से ज़्यादा बैंक खातों की पहचान की गयी। इन संदिग्ध खातों (Suspicious Accounts) को अगस्त 2020 से मई 2021 के दौरान खोला गया था। इन खातों के खोलने के हफ़्ते भर के भीतर ही 34.10 करोड़ रुपये से ज़्यादा की नकद राशि तुरंत जमा की गयी।
इन जमा की गयी रकमों में 2 लाख रुपये से ज़्यादा की नकद राशि जमा की गयी। साथ ही पैन नंबर (PAN number) जमा कराने से बचने के लिये बाद में इन्ही खातों में आये पैसों को फिक्स्ड डिपॉजिट में तब्दील कर दिया गया। सीबीडीटी ने कहा कि ऐसे स्थानीय खाताधारकों (local account holders) से इस मामले में पूछताछ हो रही है, जिसमें सामने आया कि इन लोगों को बैंक में नकद जमा के बारे में जानकारी नहीं है और ऐसे बैंक खातों या यहां तक कि सावधि जमा (Fixed deposit) के बारे में किसी भी जानकारी से साफतौर पर इंकार कर दिया।
शाखा के अध्यक्ष, सीएमडी और प्रबंधक नकद जमा के स्रोत के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं दे पाये। साथ ही दावा किया कि ये कवायद बैंक के निदेशक के इशारे पर की गयी है, जो कि अनाज के व्यापार से जुड़े बड़े स्थानीय व्यवसायी बताये जा रहे है।
सीबीडीटी ने जुटाये गये सबूतों और दर्ज बयानों के आधार पर 53.72 करोड़ रुपये की पूरी राशि पर रोक लगा दी। साथ ही मामले में आगे की जांच जारी है।