न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): अमेरिका और भारत के रक्षामंत्रियों (Defence ministers of america and india) के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक में दोनों मुल्कों के बीच कई आपसी समझौतों में हुए। मौजूदा दौर में दोनों देशों के सामरिक साझेदारी वैश्विक पटल पर कई अहम बदलाव ला सकती है। खासतौर से एशिया प्रशांत, दक्षिण-एशिया और मध्य पूर्व एशिया में। खास बात ये रही कि अमेरिकी रक्षामंत्री ऑस्टिन लॉयड ने आश्वासन दिया कि अमेरिकी सैन्य बल की एशिया पैसिफिक-अफ्रीकी कमांड के अलावा सेंट्रल कमांड भी भारतीय सेना के साथ सामरिक सहयोग के लिए खड़ी रहेगी। सेंट्रल कमांड दक्षिण एशियाई और मध्य पूर्वी एशिया में निगरानी का काम करती है।
क्वाड के जरिये पहले ही एशिया पैसिफिक में भारत और अमेरिकी सेना की मजबूत पैठ बन चुकी है। सेंट्रल कमांड का साथ मिलने के साथ ही भारतीय सेना अमेरिका की मदद से सुदूर मिडिल-ईस्ट तक अपनी ऑप्रेशनल पहुँच बना सकता है। ये खब़र पाकिस्तान और चीन के लिए बड़ी परेशानी का सब़ब बन सकती है। सेंट्रल कमांड के सहयोग से भारतीय सेना करीब 20 देशों में सर्विलांस सिस्टम इंस्टॉलेशन, ऑपरेटिव यूनिट की तैनाती, टोही मिशन और रेड एंड स्ट्राइक (Reconnaissance Mission, Raid and Strike) जैसे कामों को आसानी से अंज़ाम दे सकेगी। साथ ही दोनों और से खुफ़िया जानकारियों का भी आदान-प्रदान होगा।
इस दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच आला दर्जे की वैश्विक रणनीतिक स्थापित करने के लिए हम पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इसके तहत सहयोग और साझेदारी बेहतर करने की कवायदों पर जोर दिया जायेगा। बहुपक्षीय और द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास के साथ-साथ, इंडो-पैसिफिक, अफ्रीका कमांड और सेन्ट्रल कमांड के सहयोग पर हमें अधिकारिक सहमति मिली। दोनों मुल्कों के बीच रक्षा उत्पादों के व्यापार के लेकर असीम संभावनायें है। हम हिंद प्रशांत क्षेत्र को सभी के लिए समान अवसर देने वाला और खुला बनाने के लिए पूरी तरह प्रयासरत है। हम अमेरिका के साथ 21 वीं सदी की सबसे मजबूत रणनीति भागीदारी करने जा रहे है।
अमेरिकी रक्षामंत्री ऑस्टिन लॉयड ने इस मौके पर कहा कि- मैं अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से वाशिंगटन के सभी सहयोगियों और सामरिक साझेदारों को लेकर आत्मीय प्रतिबद्धता ज़ाहिर करता हूँ। बदल रहे वैश्विक और अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्यों में भारत हमारा काफी अहम साझेदार है। भविष्य में हम नई दिल्ली के साथ और भी विस्तृत डिफेंस डील (Detailed defence deal) करने के लिए पूरी तरह तैयार है। गौरतलब है कि दोनों ही देश एशिया-पैसिफिक में एक जैसा ही रणनीतिक झुकाव रखते है। जिसके लिए दोनों ही अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों के आधार पर अपनी साझेदारी को अधिकृत कराना चाहते है। माना जा रहा है कि भारत से बातचीत कर अमेरिका क्वाड गठबंधन में समान विचारधारा वाले दूसरे एशियाई देशों को भी शामिल कर सकता है।