नई दिल्ली (विश्वरूप प्रियदर्शी): भारत और चीन सीमाई तनाव (India China Border Tension) के बीच शांति प्रयासों की पहल दिल्ली और बीजिंग के बीच 12 अक्टूबर को होगी। इन कवायदों का मुख्य एजेंडा सामरिक गतिरोध और टकराव वाले इलाकों से सैनिकों की वापसी से जुड़ा हुआ है। कोर्प्स कमांडर स्तर (Corps commander level talks) की ये सातवें दौर की बैठक होगी। वार्ताओं के दौर के बाद भी चीन अपने अड़ियल रवैये पर कायम रहा है। इस बार बातचीत का दौर शुरू होने से पहले ही चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास 60,000 से ज्यादा सुरक्षा बलों की तैनाती कर रखी है। ये दावा किया है अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियों (US Secretary of State Mike Pompeo) ने।
चीन की इस बदनीयती को लेकर माइक पोंपियों ने बीजिंग को बुरी तरह लताड़ा और इसे क्वाड गठबंधन के खिलाफ उकसावे भरी कार्रवाई बताया। साथ ही उन्होनें दावा किया कि भारतीय सेना ने हालातों पर करीब से नज़रे बनाये हुए है। क्वाड के चारों देशों को कम्युनिस्ट विस्तारवादी ताकतों (Communist expansionist forces) से बड़ा खतरा है। इसके लिए क्वाड देशों को वाशिंगटन को अपना सहयोगी बनाना होगा। साथ ही उन्होनें टोक्यो में क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की हुई मुलाकात को भी काफी सफल बताया। आगामी सोमवार को होने वाली कोर्प्स कमांडर स्तर की बैठक में भारतीय दल की अगुवाई 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरविंदर सिंह (Lieutenant General Harvinder Singh) करेंगे। कोर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता से ठीक पहले आज चाइना स्टडी ग्रुप बैठक बुलाई गयी। जिसमें भारत-चीन सीमा पर हो रही मौजूदा गतिविधि पर चर्चा की गयी। इस बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीनों सेना प्रमुखों ने शिरकत की।
इसके साथ ही एक नाटकीय घटनाक्रम में बीजिंग के हुक्मरान दिल्ली प्रदेश भाजपा नेता तेजिन्दर पाल सिंह बग्गा (Tejinder Pal Singh Bagga) से बुरी तरह चिढ़े बैठे है। यानि कि अब भारत के साथ-साथ चीन का तनाव दिल्ली प्रदेश भाजपा से भी हो गया है। हुआ यूं कि भाजपा नेता तेजिन्दर पाल सिंह बग्गा ने भारत और ताइवान की दोस्ती से जुड़ा पोस्टर लगाया जिस पर ताइवान को हैप्पी नेशनल डे का संदेश दिया गया था। और पोस्टर के नीचे उनका नाम लिखा हुआ था। इसके साथ ही कई लोग शांति पथ का नाम बदलकर दलाई लामा पथ करने की मांग उठाने लगे है क्योंकि दिल्ली में चीनी दूतावास (Chinese Embassy) शांति पथ पर ही पड़ता है। हाल ही में चीन ने भारतीय मीडिया को ताइवान के नेशनल डे कार्यक्रम से दूरी बनाने की नसीहत दी थी। जिसके बाद ताइवान और चीन में तल्खियां देखी गयी थी। दिलचस्प ये भी है कि साल 1962 के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने चीनी दूतावास में खूब सारी भेड़ और बकरियां छोड़कर विरोध प्रदर्शन ज़ाहिर किया था। तेजिन्दर पाल सिंह बग्गा की सियासत दिल्ली प्रदेश तक ही सीमित है, ऐसे में अन्तर्राष्ट्रीय मसलों में हाथ डालकर उन्हें कितना लाभ मिल पाता है और उनकी इस हरकत को आलाकमान का कितना साथ मिलता है, ये देखना दिलचस्प होगा। फिलहाल चीन और भारत के संबंध बेहद नाज़ुक दौर से गुजर रहे है, ऐसे में लोकल नेता द्वारा संवेदनशील मुद्दे को लेकर पॉलिटिकल करियर माइलेज (Political career mileage) निकालना कितना जायज़ है ये आने वाला वक्त ही तय करेगा।