न्यूज डेस्क (प्रियवंदा गोप): लद्दाख के पूर्वी इलाके में बने अग्रिम मोर्चे पर नई दिल्ली और बीजिंग सैनिकों की वापसी पर (India China Disengagement) आपसी सहमति बना चुके हैं। जिसके बाद चीन में खुलेआम ये बात कबूली कि गलवान खूनी झड़प के दौरान उनके कुछ सिपाही मारे गए। ड्रैगन ने ये बात अपने नागरिक से 8 महीने तक छिपाये रखी। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने खुलासा किया कि उनके चार सैनिक मौके पर ही मारे गए और साथ ही एक सैनिक बचाओ अभियान के दौरान मरा।
जिसके बाद अब आम चीनी नागरिक भारत के खिलाफ जहर उगलने लगे हैं। जिसके लिए चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो (Chinese social media platform Vibo) पर अपशब्दों और गाली गलौज का इस्तेमाल कर भारत के खिलाफ अपनी खीझ निकाल रहे है। इस कवायद में खासतौर से बीजिंग स्थित इंडियन एंबेसी के सोशल मीडिया अकाउंट पर को निशाना बनाया जा रहा है। गलवान में मारे गए चीनी सैनिकों के बारे में सबसे पहला खुलासा पीएलए के दैनिक अखबार में बीते शुक्रवार को हुआ। खबर सामने आते ही चीनी काफी इमोशनल हो गए। कम्युनिस्ट पार्टी की आलोचना करने के बजाय भारत के खिलाफ सोशल मीडिया पर उतर आये।
चीनी नेतृत्व में मौके का फायदा उठाया और कई दुष्प्रचार वीडियो सार्वजनिक (Propaganda video) किये। जिनके अपलोड होते ही कुछ देर में लाखों लोगों ने इसे देखा। जिसके बाद वहां आम चीनी नागरिकों के बीच भारत के खिलाफ माहौल तैयार हुआ। इसके पीछे बड़ी वजह ये भी है कि चीनी लोगों ने लंबे समय बाद अपने सैनिकों को मरते देखा। जिसके कारण उनका गुस्सा चरम पर है। चीनी दुष्प्रचार की वज़ह से कई चाइनीज़ विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में मारे गये सैनिकों की तस्वीरें लगाकर सार्वजनिक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जा रहा है।
इस बीच कई चीनी युवा सरकार से खफ़ा नज़र आये, उन्होनें चीनी सरकार से पूछा कि आखिर ड्रैगन ये बात इतने लंबे समय तक क्यों छुपाई। हाल ही में चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम (Chinese government mouthpiece Global Time) में एक संपादकीय छपा। जिसमें बताया गया कि इस खबर को 8 महीने तक आम चीनी नागरिक से क्यों छुपाया गया।
संपादकीय (Editorial) में दावा किया गया कि- गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प की खब़र को इसलिए छिपाया गया ताकि चीन का भीतरी माहौल तनावपूर्ण ना हो। अब जबकि सैन्य गतिरोध खत्म हो गया है तो हर आम चीनी नागरिको को ये जानना जरूरी है कि, चीनी सैनिकों ने उनके लिए क्या बलिदान दिया। उनकी वीरता को हरेक तक पहुँचाया जाये और उनके ज़ज्बे को सराहना मिल सके।
चीन की इस चाल से हर युवा चीनी और सैनिक में भारी आक्रोश है। संपादकीय में लिखा गया कि, विदेशी सेना के साथ चीन की इस तरह की झड़प पहले कभी नहीं देखी गयी, जैसा कि गलवान घाटी में हुआ। चीनियों की खीझ, झल्लाहट और आक्रोश के कारण भारतीय दूतावास को गालियां सहनी पड़ रही है।
दिलचस्प है कि चीन ने अपने नागरिकों के सामने सिर्फ पांच ही सैनिकों के मारे जाने का दावा किया है, जबकि रूसी और अमेरिकन मीडिया एजेंसियां (Russian and American Media Agencies) करीब 30 से 40 चीनी सैनिकों के मारे जाने की बात कह चुकी है।