एजेंसियां/न्यूज डेस्क (मृत्युंजय झा): पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के मौजूदा हालातों (India-China LAC Issue) पर दुशांबे में विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बैठक काफी अहम रही। बैठक के दौरान भारतीय पक्ष ने चीनी पक्ष से स्पष्ट रूप से कहा कि “यथास्थिति का एकतरफा बदलाव कतई मंजूर नहीं है” विदेश मंत्रालय द्वारा रीडआउट के मुताबिक पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ शेष मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने का आह्वान भी किया गया।
दोनों पक्षों के बीच ये मुलाकात 10 महीने से ज्यादा वक़्त के बाद हुई। दोनों आखिरी बार सितंबर 2020 में मास्को में एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान व्यक्तिगत रूप से मिले थे, जब गलवान में भारत ने चीनी आक्रामक कार्रवाइयों के कारण 20 सैनिकों को खो दिया था।
इस दौरान विदेश मंत्री ने फरवरी के समझौते को याद किया, जिसके कारण दोनों देशों की सेनायें पीछे हटी थी। विदेशमंत्री जयशंकर ने कहा कि, पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ शेष मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने की जरूरत है। हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा जैसे इलाकों में अभी सैन्य तनाव (Military Tension) और टकराहट वाले सैन्य हालात बने हुए है।
भारतीय रीडआउट के अनुसार विदेश मंत्री ने चीनी स्टेट काउंसलर (Chinese State Counselor) को बताया कि इस साल की शुरुआत में पैंगोंग झील इलाके में कामयाब तरीके से सेना के पीछे हटने और शेष मुद्दे को हल करने के लिये हालात पैदा किये गये और साथ ही ये उम्मीद की गयी कि चीनी पक्ष साथ काम करे जो कि इन कवायदों का अहम हिस्सा है।
रीडआइट ने आगे बताया कि, विदेशमंत्री ने इस बात पर जोर डाला कि बाकी के कई इलाकों में सैन्य हालात अभी भी अनसुलझे है। जिससे तनाव लंबा खींच रहा है। ऐसे में ये किसी भी पक्ष के हित में नहीं है। ये नकारात्मक तरीके से दोनों देशों के तालुक्कातों पर बुरा असर डाल रहा है।
गलवान की घटना के बाद भारत ने चीनी निवेश पर जांच बढ़ा दी थी और कई चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया। भारतीयों में भावना भी बीजिंग के खिलाफ हो गयी। चीन के खिलाफ भारतीय लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर देखा गया, जो कि इससे पहले 1962 के भारत चीन युद्ध के बाद देखा गया था।
बुधवार को हुई वार्ता के दौरान अगले दौर की सैन्य वार्ता आयोजित करने पर भी खासा ध्यान दिया गया। दोनों पक्षों के बीच पहले से ही एक दौर की राजनयिक बातचीत (Diplomatic Talks) हो चुकी है, जिसे WMCC या परामर्श और समन्वय के लिये कार्य तंत्र के तौर पर जाना जाता है।