न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जल्द GISAT-1 सैटेलाइट लॉन्च करेगा। ये सैटेलाइट भारतीय सीमाओं की रियल टाइम तस्वीरें मुहैया करवायेगा और साथ ही प्राकृतिक आपदाओं के हालातों में फौरी निगरानी भी कर सकेगा। जानकारों के मुताबिक भूस्थिर कक्षा में ये अत्याधुनिक तकनीक से लैस ये सैटेलाइट सैन्य उपयोग के लिये खासा मदद करेगा। जीआईएसएटी-1 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में श्रीहरिकोटा में जीएसएलवी-एफ 10 रॉकेट के जरिये चेन्नई से लगभग 100 किलोमीटर उत्तर में अंतरिक्ष में निचली कक्षा में स्थापित किया जायेगा।
रॉकेट अंतरिक्ष यान को जियोसिंक्रोनस कक्षा में रखा जायेगा। ये पृथ्वी से भूमध्य रेखा की सीधाई में लगभग 36,000 किलोमीटर ऊपर है। इस जहाज पर प्रोपल्शन सिस्टम लगा हुआ है। जीआईएसएटी -1 ऑनबोर्ड जीएसएलवी-एफ 10 रॉकेट का प्रक्षेपण मूल रूप से पिछले साल 5 मार्च को किया गया था। उस दौरान तकनीकी कारणों से उसमें विस्फोट हो गया था। जिसकी वजह से लॉन्चिंग को एक दिन पहले ही रोक दिया। जीआईएसएटी-1 अपनी श्रेणी का अत्याधुनिक जियो सैटेलाइट है। जिसका वजन 2,268 किलोग्राम है। सैटेलाइट को जीएसएलवी-एफ 10 सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल द्वारा जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में रखा जायेगा।
जीआईएसएटी -1 एक छोटा सैटेलाइट है, इसरो के इस कॉम्पैक्ट लांचर की पहली उड़ान, अप्रैल में होने की संभावना है। इसरो के मुताबिक सैटेलाइट लगातार तयशुदा वक़्त पर बड़े इलाके से जुड़ी रियल टाइम इमेजिंग मुहैया करवायेगा। प्राकृतिक आपदाओं, महामारी और किसी भी अल्पकालिक घटनाओं की दशा में त्वरित निगरानी में मदद करेगा। साथ ही ये कृषि, वानिकी, खनिज, आपदा चेतावनी, क्लाउड प्रोपर्टी, हिम ग्लेशियर, और समुद्र विज्ञान से जुड़ी मॉनिटरिंग पर नज़रे बनाये रखेगा। इसरो के मुताबिक जीआईएसएटी-1 भारतीय उपमहाद्वीप की रियल टाइम मॉनिटरिंग करने में खासा मदद करेगा। इससे सेना का खास मदद मिलेगी। जिससे सीमा पार आंतकवाद और घुसपैठ पर लगाम कसने में खासा मदद मिलेगी।