नई दिल्ली (समरजीत अधिकारी): बिना किसी पुख्ता प्रमाण के नेपाल ने भारतीय इलाकों को अपना बताकर संशोधित नक्शा (Modified map) नेपाली संसद के निचले सदन में पारित करवा लिया। जब मीडिया और लोगों ने नए नक्शे से जुड़े सबूत मांगे तो, नेपाल सरकार (Government of Nepal) को आनन-फानन में कमेटी का गठन करना पड़ा। विष्णु राज उप्रेती (Vishnu Raj Upreti) की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में 9 सदस्य अब भारतीय इलाके को अपना बताने के लिए साक्ष्य तलाशेगें। नेपाली संसद में जिस दौरान संशोधित नक्शा पारित करवाया जा रहा था, उस वक्त प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (Prime Minister KP Sharma Oli) और 11 सांसद सदन की कार्रवाई से नदारद थे। साथ ही नेशनल असेंबली (नेपाली संसद का ऊपरी सदन) में मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयारी शुरू हो चुकी है।
मामले पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने चुप्पी तोड़ते हुए, इस मुद्दे पर कई अहम और पुख्ता बातें जनता से साझा की। रक्षा मंत्री उत्तराखंड जन संवाद के मंच से लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा- हमारे पड़ोसी देश नेपाल में सड़क निर्माण को लेकर कुछ गलतफहमियां (Misunderstandings) पैदा हुई हैं। भारत और नेपाल के बीच का जो रिश्ता है ये कोई आम रिश्ता नहीं है। भारत और नेपाल का रिश्ता रोटी और बेटी का है।
भारत और नेपाल के प्रगाढ़ संबंधों का हवाला देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा- नेपाल के साथ हमारे केवल सामाजिक, भौगोलिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्ते ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक रिश्ते भी हैं। भारत नेपाल सीमा (India Nepal border) को लेकर जो एक भ्रम की स्थिति बनी है उसको मिल बैठ कर बातचीत के माध्यम हल कर लेंगे। नेपाल के लोगों के प्रति भारत में कभी कटुता नहीं रही है।
दोनों देशों के बीच धार्मिक समानता के बारे में कैबिनेट मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- बाबा पशुपतिनाथ (Pashupatinath) को हम कैसे भूल सकते हैं।बाबा पशुपतिनाथ हों या चाहे हमारे भारत में काशी विश्वनाथ, सोमनाथ इन सबको अमरनाथ से अलग कोई कैसे कर सकता है? यह सम्बन्ध तो इस लोक का नही है बल्कि मैं यह मानता हूं कि यह संबंध दूसरे लोक का है, कोई चाह कर भी इसे नहीं बदल सकता।
कार्यक्रम के दौरान भारतीय सेना (Indian Army) में कार्यरत गोरखाओं के असीम बलिदान और शौर्य को याद करते हुए उन्होंने कहा- इस समय में रक्षा मंत्री के रूप में जिम्मेदारी का निर्वाह कर रहा हूं और हमारे यहां गोरखा रेजीमेंट (Gurkha Regiment) है जिसने समय-समय पर बराबर शौर्य और पराक्रम का उसने परिचय दिया है। उस गोरखा रेजीमेंट का भी उद्घोष है ‘जय महाकाली, आयो री गोरखाली‘।
भारतीयों और नेपालियों के बीच सांस्कृतिक एकात्मकता (Cultural unity) की ओर ध्यान खींचते हुए उन्होंने जिक्र किया कि, महाकाली तो कोलकाता में कामाख्या में और विंध्याचल में सब जगह विद्यमान हैं और महाकाली के भक्त तो उत्तराखंड के गांव-गांव में मिल जाते हैं तो कैसे भारत और नेपाल का रिश्ता यह टूट सकता है।इसलिए धारचूला (Dharchula) के आगे कितनी भी तारें लगा दी जाएं, इन संबंधों को बहनों भाइयों काटा नहीं जा सकता।
भारत और नेपाल के बीच संबंधों की डोर सदियों पुरानी है। संस्कृति, आध्यात्मिकता, मानवीय संबंध दोनों देशों के बीच इस कदर रचे बसे हुए हैं। एक साधारण सा राजनीतिक नक्शा इन्हें अलग नहीं कर सकता।