एजेंसियां/न्यूज डेस्क (यामिनी गजपति): भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस.जयशंकर और उनके पाकिस्तानी समकक्ष (Pakistani equivalent) शाह महमूद कुरैशी 30 मार्च को तजाकिस्तान के दुशांबे में “हार्ट ऑफ एशिया” के नौवें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। ये मौका कई सालों बाद आया है कि जब दोनों मुल्कों के विदेश मंत्री एक साथ एक मंच पर होगें। फिलहाल इसे मुद्दे को लेकर नई दिल्ली और इस्लामाबाद की ओर से अभी तक कोई अधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है।
हाल ही में पाकिस्तान की ओर से भारत के लिए काफी अपमानज़नक बातें कहीं गयी। ऐसा खासतौर से प्रधान मंत्री इमरान खान और पाकिस्तानी सेना प्रमुख क़मर जावेद बाजवा करते आये है। इसी बीच पाकिस्तान में रक्षा संवाद (Islamabad Defence Dialogue) के दौरान पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने कहा कि हमें लगता है कि दोनों मुल्कों पुरानी बातें दफ़न कर आगे बढ़ने का वक़्त आ गया है। इससे ठीक पहले इसी मंच पर पीएम इमरान खान ने कारोबारी मसले पर अपनी बात रखी थी। उन्होनें कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्ते तभी बेहतर हो सकते है। जब इसकी पहल नई दिल्ली करें।
इसी मुद्दे पर करीब एक हफ़्ते पहले भारतीय विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने कहा था कि, भारत पाकिस्तान के साथ अच्छे पड़ोसी तालुक्कातों की दरकार रखता है। किसी भी तरह के द्विपक्षीय को शांति से सुलझाने की पाकिस्तानी प्रतिबद्धता (Pakistani commitment) होनी चाहिए। कोई भी सार्थक बातचीत केवल अनुकूल माहौल में हो सकती है। ऐसा माहौल बनाने के लिए पाकिस्तान खुद अपने लिए माहौल तैयार करना होगा।
हार्ट ऑफ एशिया
ये दशकों पुरानी अफगानिस्तान और तुर्की के बीच इस्तांबुल प्रक्रिया का हिस्सा है। इसमें 15 देश शामिल है। इस पहल का मकसद अफगानिस्तान में शांति स्थापित करना है। इसमें हिस्सा लेने वाले ज़्यादातर अफगानिस्तान के पड़ोसी और पश्चिम एशियाई मुल्क (West asian country) हैं। जैसे ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात इसके अहम हिस्से है। भारत ने साल 2016 में अमृतसर में इसी बैठक की मेजबानी की थी।