न्यूज डेस्क (शाश्वत अहीर): भारत के बढ़ते कूटनीतिक असर का एक और नतीज़ा हाल ही में देखा गया, जब संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी आयोग (UN Statistical Commission) और दो अन्य निकायों के लिये भारत का नाम चुना गया है। इसी मोर्चें पर बीजिंग का करारी कूटनीतिक हार का सामना करना पड़ा, जब वो भारत के खिलाफ खड़ा हुआ तो कमीशन के लिये जरूरी वोट हासिल करने में नाकाम रहा।
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (ईसीओएसओसी) की ओर से नारकोटिक ड्रग्स पर बने आयोग और एचआईवी/एड्स (HIV/AIDS) पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम के प्रोग्राम कॉर्डिनेशन बोर्ड ने बीते बुधवार (5 अप्रैल 2023) को दोनों चुनावों में भारत को निर्विरोध तौर पर चुना गया।
सांख्यिकीय आयोग के चुनाव में जहां चीन (China) एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिये निर्धारित सीटों के लिये भारत के साथ चीन इस दौड़ में शामिल था, भारत को मतदान के पहले दौर में एशिया प्रशांत (Asia Pacific) क्षेत्र की दो सीटों में से एक के लिये सांख्यिकीय आयोग के 53 मतों में से 46 वोट हासिल हुए।
चीन 19 वोटों के साथ तीसरे पायदान पर रहा, जबकि दक्षिण कोरिया (South Korea) को 23 और संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates) को 15 वोट मिले, जिसकी वज़ह से दूसरे दौर के वोटिंग की जरूरत थी क्योंकि उनमें से किसी को भी नियमों के तहत इलाके की दूसरी सीट के चुनाव के लिये जरूरी 27 वोटों में से बहुमत नहीं मिला।
चीन और दक्षिण कोरिया (South Korea) के बीच हर राउंडऑफ में वो 25 वोटों के साथ बराबरी पर रहे और नियमों के तहत ECOSOC के अध्यक्ष लचेज़ारा स्टोएवा (Lachezzara Stoeva) ने टाई को तोड़ने के लिये बहुत कुछ किया और आखिर में सियोल (Seoul) को चुना गया।
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ट्वीट किया कि, “सांख्यिकी, विविधता और जनसांख्यिकी के क्षेत्र में भारत की विशेषज्ञता ने देश को संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी आयोग में जगह दिलायी है।” उन्होंने भारत की संयुक्त राष्ट्र मिशन टीम को प्रतिस्पर्धी चुनाव में इतनी मजबूती से आने के लिये बधाई दी।
ज्यादातर संयुक्त राष्ट्र निकायों पर सीटें क्षेत्र को ध्यान में रखकर आवंटित की जाती हैं, हालांकि सभी देश इस इलाके से उम्मीदवारों को चुनने के लिये वोटिंग करते हैं।
भारत इस मोर्चे पर 2024 में सांख्यिकीय आयोग पर अपना कार्यकाल शुरू करेगा। नई दिल्ली (New Delhi) को 20 साल बाद फिर से ये जिम्मेदारी हासिल हुई है। इससे पहले भारत ने साल 2004 में अपना अंतिम कार्यकाल पूरा किया था। बता दे कि सांख्यिकीय आयोग खुद को दुनिया भर के सदस्य राज्यों के प्रमुख सांख्यिकीविदों को एक साथ लाने वाली वैश्विक सांख्यिकीय प्रणाली का सर्वोच्च निकाय है। ये राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सांख्यिकीय मानकों को निर्धारित करने के साथ अवधारणाओं और विधियों को विकसित करता है।
सांख्यिकी आयोग के चुनाव में चीन का खराब प्रदर्शन में उसे सिर्फ 19 वोट ही हासिल हुए और दक्षिण कोरिया का चीन को पीछे करना दुनिया भर में व्यापक कूटनीतिक और आर्थिक अभियानों की वजह से अपने आप में बड़ी हैरत की बात है।