न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के ताजातरीन अनुमानों के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था साल 2021 में 9.5 फीसदी और साल 2022 में 8.5 फीसदी की दर से बढ़ने की ओर अग्रसर है। गौततलब है कि कोरोना महामारी के प्रभाव के कारण साल 2020 में भारत की अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की कमी आई थी। आईएमएफ ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के साल 2022 में 4.9 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।
इसके साथ ही ग्लोबल इक्नॉमी के साल 2021 में 5.9 प्रतिशत और साल 2022 में 4.9 फीसदी बढ़ने का अनुमान है, जो जुलाई के पूर्वानुमान की तुलना में 2021 के लिए 0.1 प्रतिशत अंक कम है। आईएमएफ ने अपने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (World Economic Outlook) अक्टूबर 2021 में कहा कि, 2021 के लिए डाउनवर्ड रिवीजन (Downward Revision) उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के लिए गिरावट को दर्शाता है। जो कि आपूर्ति में व्यवधान और कम आमदनी वाले विकासशील देशों के लिये बड़े पैमाने पर महामारी की गतिशीलता के कारण हुआ है।
आईएमएफ ने आगे कहा कि ये कुछ कमोडिटी-एक्सपोर्टिंग इमर्जिंग मार्केट (Commodity-Exporting Emerging Markets) और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के बीच मजबूत निकट अवधि की संभावनाओं से उपजा आंशिक ऑफसेट है। वायरस के डेल्टा वेरियंट के तेजी से प्रसार और नए वेरिएंट के खतरे ने इस बारे में अनिश्चितता काफी बढ़ा दी है कि महामारी को कितनी जल्दी दूर किया जा सकता है। इस वज़ह से नीतिगत विकल्प ज़्यादा हो गए हैं।
आईएमएफ ने अनुमान लगाया कि चीन साल 2022 में 5.6 प्रतिशत और अमेरिका 5.2 प्रतिशत की वृद्धि दर से आगे बढ़ेगा। जर्मनी, फ्रांस और इटली जैसी प्रमुख यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं के लिये आईएमएफ ने क्रमशः 4.6 प्रतिशत, 3.9 प्रतिशत और 4.2 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया। यूनाइटेड किंगडम के साल 2022 में 5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।
आईएमएफ के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका और कुछ उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय इज़ाफा हुआ है। चूंकि प्रतिबंधों में ढील दी गई है और मांग में तेजी आई है लेकिन इनके बीच आपूर्ति धीमी रही है। आईएमएफ ने कहा कि साल 2022 में अधिकांश देशों में कीमतों का दबाव कम होने की उम्मीद है और मुद्रास्फीति की संभावनाएं अत्यधिक अनिश्चित हैं। मुद्रास्फीति में ये वृद्धि तब भी हो रही है, जब कई अर्थव्यवस्थाओं में रोजगार पूर्व-महामारी के स्तर से नीचे है, जिससे नीति निर्माताओं को मुश्किल विकल्प मिल रहे हैं।
आईएमएफ ने उल्लेख किया कि वैश्विक आर्थिक संभावनाओं को मजबूत करने के लिए वैक्सीन की तैनाती, जलवायु परिवर्तन और अंतर्राष्ट्रीय तरलता (Climate change and international liquidity) के बहुपक्षीय स्तर पर मजबूत नीतिगत प्रयास की जरूरत है। बहुपक्षीय प्रयासों के पूरक के लिए राष्ट्रीय नीतियों को देश-विशिष्ट परिस्थितियों और बेहतर लक्ष्यीकरण के मद्देनज़र तैयार करना होगा।