भारतीय मीडिया (Indian Media) की रिपोर्टिंग (Reporting) का दायरा फिलहाल ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) तक सीमित रह गया है। राष्ट्रीय परजीवी (National parasite) और यस बैंक के पुराने मालिक राणा कपूर इस वक्त मौज कर रहे हैं। इन 2 दिनों में कोरोना वायरस (Corona virus) के मामलों में उछाल आया है। देश की युवा शक्ति रोजगार (Employment) हासिल करने के लिए रोजाना धरना प्रदर्शन (Protest) कर रही है। देश की अर्थव्यवस्था (Economy) रोजाना गड्ढे में गिरने के नए कीर्तिमान (Record) स्थापित कर रही है। देश मृत्यु शैय्या की ओर तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन मीडिया चैनलों (Media channels) का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। इन सबके उल्ट मीडिया चैनलों की दिलचस्पी (Interested) इस बात में है कि, कौन किसकी कुर्सी पर बैठेगा। विधायकों की खरीद-फरोख्त (Sale and purchase of legislators) और लोकतांत्रिक अस्मिता के प्रतिदिन हो रहे बलात्कार पर सभी मीडिया चैनल चुप्पी साधे बैठे हैं। जनता के चुने हुए नुमाइंदे (Represent) सत्ता और पैसा हासिल करने के लिए गद्दार (Traitor) बने जा रहे हैं। यह बेहद शर्मनाक है।
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