भारत सरकार ने हाल ही में साल 2025 तक देश में पेट्रोल के औसत इथेनॉल सम्मिश्रण को 20 फीसदी (ई-20) तक लाने का लक्ष्य रखा है। योजना के मुताबिक सरकार इस योजना को साल 2023 तक लागू करने की रूपरेखा तैयार कर रही है। E20 ईंधन 20 प्रतिशत इथेनॉल के साथ 80 प्रतिशत मिश्रित पेट्रोल है। मौजूदा वक्त में देश में लगभग आधा पेट्रोल में लगभग 10 प्रतिशत इथेनॉल (E10) हो रहा है। बाकी का पेट्रोल बगैर मिश्रण के ही बेचा जा रहा है।
ई-20 लाने का पहला चरण अप्रैल 2022 तक देश भर में E10 उपलब्धता लाने के साथ शुरू हो चुका है। इस योजना के कई फायदे सीधे तौर पर होगें। ये पेट्रोल की कम प्रदूषणकारी (less polluting) होने के कारण वायु प्रदूषण में सीधी कमी लायेगा। साथ ही केन्द्र सरकार को तेल आयात में सालाना 30,000 करोड़ रुपये की बचत होने की उम्मीद है। ये कारोबार भी स्थापित करेगा। कार्यक्रम को रफ्तार देने के लिए सरकार साल 2025 तक हर साल 60 लाख टन चीनी को इथेनॉल के उत्पादन में इस्तेमाल करेगी।
इथेनॉल, पेट्रोल की तुलना में कम लागत पर समान दक्षता देता है। हालांकि किसी वाहन को E20 पर चलाने के लिए इंजन में कुछ फेरबदलाव किया जाना बेहद जरूरी होगा। ई20 आने से भारत में लेड से अनलेडेड पेट्रोल (Unleaded Petrol) में बदलाव आने की प्रक्रिया भी शुरू हो जायेगी।
इथेनॉल ईंधन एथिल अल्कोहल है। ठीक इसी तरह का अल्कोहल शराब में पाया जाता है। ये आमतौर पर मोटर ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है, मुख्य रूप से पेट्रोल में जैव (जीवाश्म) ईंधन (Fossil Fuel) के अतिरिक्त। बायोमास का इस्तेमाल आमतौर पर मकई या गन्ना से इथेनॉल बनाने के लिए किया जाता है। भारत में प्रचुर मात्रा में गन्ना उत्पादन एथनॉल आधारित ईंधन की दिशा में काफी अहम है।
पेट्रोल में इथेनॉल की तुलना में ज़्यादा ऊर्जा होती है; इथेनॉल से भरे एक टैंक में पेट्रोल की समान मात्रा की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत कम ऊर्जा होती है। जून 2021 में प्रकाशित नीति आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक ई0 पेट्रोल के लिये डिज़ाइन किये गये 4 पहिया वाहनों में ई20 ईंधन का उपयोग करने और फिर E10 के लिये कैलिब्रेट (Calibrate) करने से ईंधन दक्षता में 6-7 फीसदी की संभावित हानि होगी। ई0 दोपहिया वाहनों को E10 में अपग्रेड करने के लिये, ई20 का इस्तेमाल करने से दक्षता में 3-4 प्रतिशत की कमी आएगी।
नए 4-पहिया वाहनों के लिए जिन्हें ई10 पेट्रोल के लिए डिज़ाइन किया गया है और उन्हें ई20 के मुताबिक अपग्रेड करने में ऊर्जा दक्षता में 1-2 प्रतिशत की नगण्य हानि होगी।
कार्यक्रम के अगले चरण के तौर पर भारत ने इथेनॉल-आधारित 'फ्लेक्स इंजन' के निर्माण को सरकारी मंजूरी दी जायेगी। ये इंजन बिजली वाहनों और जीवाश्म ईंधन के चलने बजाय स्थानीय कृषि उपज का इस्तेमाल करेगें। फ्लेक्स इंजन वे हैं जो E20 से E100 तक इथेनॉल सम्मिश्रण के किसी भी अनुपात में चल सकते हैं। इस प्रकार के इंजन और कारें नई नहीं हैं। फिएट 147 जिसे 1978 में ब्राजील में लॉन्च किया गया था, ये पूरी तरह से इथेनॉल पर चलने वाली पहली कार थी।