नई दिल्ली (शौर्य यादव): वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 20 भारतीय जवानों की शहादत से पूरा देश गमगीन है। पिछली 5 मई से ही भारत और चीन (China) के बीच अलग-अलग सामरिक मोर्चों (Strategic fronts) पर हालात नाजुक बने हुए हैं। फिलहाल इस घटना ने दोनों देशों के बीच चल रहे गतिरोध को चरम पर ला खड़ा किया है। अक्साई चीन (Aksai Chin) और गलवान घाटी (Galvan Valley) में सामरिक बढ़त (Strategic edge) और विस्तारवाद की मंशा पूरी करने के लिए बीजिंग ऐसी कायराना हरकतों को अंजाम दे रहा है। लगातार बदल रहे नए घटनाक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ सहित तीनों सेना प्रमुखों के साथ रक्षा तैयारियों का जायजा लिया। देर रात प्रधानमंत्री आवास पर गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने पीएम मोदी (PM Modi) को हालातों से अवगत कराया।
सीमा विवाद और मौजूदा खूनी संघर्ष को देखते हुए, संयुक्त राष्ट्र (United Nations) को मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा। यूएन महासचिव के सहायक प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा- भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हुए हिंसात्मक घटनाक्रम को लेकर हम काफी चिंतित हैं। संयुक्त राष्ट्र दोनों पक्षों से ज्यादा से ज्यादा संयम बरतने की अपील करता है। हम उन रिपोर्ट्स पर सकारात्मक कदम उठाएंगे, जिसकी वजह से दोनों देशों के बीच हालात नाजुक बने। स्थिति नियंत्रित और सामान्य करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।
मामले की गूंज वॉशिंगटन (Washington) तक सुनाई दी, यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट के प्रवक्ता ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई (News agency ANI) से कहा- वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय और चीनी सुरक्षा बलों (Chinese Security Forces) की तैनाती के साथ अमेरिकी प्रशासन (US Administration) हालातों पर भी काफी करीब से नजरें बनाए हुए हैं। भारतीय सेना ने 20 जवानों की शहादत की घोषणा की है। शहीद जवानों के परिजनों के प्रति हम हार्दिक शोक संवेदनाएं व्यक्त करते हैं।
साल की शुरुआत से ही संयुक्त राष्ट्र पर आरोप लगते रहे हैं कि, वो चीनी दबाव में काम कर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) और सुरक्षा परिषद (Security Council) में चीन का खासा दबदबा देखा गया। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र का ये आश्वासन और शांति बहाली के प्रयास का दावा कितना कारगर होगा, ये अपने आप में बड़ा सवाल है।