एजेंसियां/न्यूज डेस्क (श्री हर्षिणी सिंधू): Indo China Conflict: हाल ही में ब्रिटेन के थिंक टैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन ने भारतीय सीमा के पास सैनिकों की पुख़्ता तैनाती की सुविधा के लिये विवादित अक्साई चिन सीमा पर बुनियादी ढांचें को काफी मजबूत कर दिया है। इस मामले को लेकर चैथम हाउस (Chatham House) की रिपोर्ट जारी की गयी है। ये रिपोर्ट अक्टूबर 2022 से छह महीनों के दौरान ली गयी सैटेलाइट इमेज की बुनियाद पर टिकी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA- People’s Liberation Army) ने चीनी इलाके में चौकियों, शिविरों और सामरिक सड़कों का बड़ा नेटवर्क तैयार किया है। मई 2020 में भारत के साथ सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) चीन ने काफी तेजी से मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया है।
चैथम हाउस, जिसे रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स (Royal Institute of International Affairs) के नाम से भी जाना जाता है, की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि,” सैटेलाइट इमेज सामरिक सड़कों, चौकियों और पार्किंग इलाकों, सौर पैनलों और यहां तक कि हेलीपैड के साथ साथ आधुनिक मौसमरोधी शिविरों को भी दिखाती हैं।”
इसके अलावा चीनी सेना एक नया हेलीपोर्ट भी बना रही है, जिसमें 18 हैंगर और हेलीकॉप्टरों के इस्तेमाल के लिये छोटे रनवे और ड्रोन तैनात होगें ये अक्साई चिन में और उसके आसपास पीएलए की मिलिट्री ऑप्रेशंस की काबिलियत में कई गुना इज़ाफा कर देगें। यूके के थिंक टैंक की ओर से पहली बार चीनी सेना की तेजी से बढ़ती मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर गतिविधियों के बारे में पता लगा है।
अमेरिकी इमेजिंग कंपनी प्लैनेट लैब्स (Planet Labs) ने पिछले हफ्ते भी 2020 के बाद से एलएसी के साथ चीन के हवाई इलाके के विस्तार की तस्वीरें साझा की थीं। इस बीच यूके के थिंक टैंक ने आगे कहा कि- “सड़कों से जुड़े पीएलए के कई ठिकानों को अब गतिरोध वाले इलाके से आगे बढ़ते हुए देखा जा सकता है।”
अक्साई चीन के अलावा थिंक टैंक ने देपसांग (Depsang) के मैदानों में भी इसी तरह की चीनी कवायदों का जिक्र किया। ये इलाका एलएसी के पास लद्दाख में सैन्य टकराव वाली अहम जगहों में से एक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि डेपसांग के मैदानों के दक्षिण में एक नदी घाटी राकी नाला में चीनी चौकियां साफ दिखायी दे रही हैं, जो कि संभावित तौर पर इलाके में भारतीय सेना (Indian Army) की गश्त को रोक सकती हैं।
लद्दाख (Ladakh) में पैंगोंग झील (Pangong Lake) पर थिंक टैंक ने पाया कि पीएलए एक पुल का काम तेजी से पूरा कर रहा है। इसके बनने के बाद पीएलए का रुतोग सैन्य गैरिसन तेजी से आसपास के इलाकों में मोबाइलेजशन हो सकेगा। ये इलाका नदी और पहाड़ी चोटियों से घिरा हुआ है। दूसरी ओर शिनजियांग (Xinjiang) को तिब्बत (Tibet) से जोड़ने के लिये बनने वाला चीनी G695 राजमार्ग 2035 में पूरा होने वाला है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि नया हाईवे अक्साई चिन की लंबाई को देपसांग मैदानों से होते हुए गलवान घाटी (Galvan Valley) के दक्षिणी इलाके में और पैंगोंग त्सो (Pangong tso) की ओर ले जायेगा।
पिछले हफ्ते विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने माना कि नई दिल्ली बीजिंग से मिलने वाली कई एकतरफा चुनौतियों का सामना कर रहा है। उन्होनें दावा किया कि मोदी सरकार की ओर से कई कदम उठाये गये हैं कि सीमावर्ती इलाकों में यथास्थिति को एकतरफा बदलने का कोई प्रयास ना किया जाये।
उन्होंने कहा कि ये चुनौती पिछले तीन सालों से सीमावर्ती इलाके में काफी दिखायी दे रही है। ये कहते हुए कि दोनों देशों को संबंधों में संतुलन खोजने की जरूरत है, हालांकि इसे सिर्प दूसरे पक्ष की ओर से पेश की गयी शर्तों पर हासिल नहीं किया जा सकता है।
विदेशमंत्री ने अनंत नेशनल यूनिवर्सिटी में ‘मोदी इंडिया: ए राइजिंग पावर’ पर अपने भाषण में कहा था कि, “अगर दोनों देशों के बीच शांति भंग होती है, तो उनके रिश्ते इससे अछूते नहीं रहेंगे।” पूर्वी लद्दाख में चीन की घुसपैठ के मुद्दे पर जयशंकर ने कहा कि, “जब मैं बड़ी ताकतों के बारे में बात करता हूं तो निश्चित तौर पर हमारे सामने चीन से बड़ी खास चुनौती है। ये चुनौती बहुत ही जटिल है, लेकिन पिछले तीन सालों में ये खासतौर से सीमावर्ती इलाकों में दिखायी दी है।”