\नई दिल्ली (समरजीत अधिकारी): पूर्वी लद्दाख के मोर्चे पर आज भारत को बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल हुई। भारतीय सेना के सूत्रों ने खुलासा किया है कि, चीनी (China) सैनिक गलवान घाटी में झड़प वाली जगह से 1.5 किलोमीटर पीछे चले गए हैं। साथ ही पीएलए ने अस्थायी टेंट और निर्माण भी हटा लिया है।
मौजूदा कवायद से इस मोर्चे पर कुछ हद तक सैन्य तनाव कम होने की उम्मीद जतायी जा रही है। दोनों देशों के बीच बनी आपसी सहमति के मुताबिक तनाव जल्द करने के अलावा विवादित इलाके में ऐसी कोई एकतरफा सैन्य कार्रवाई नहीं होगी, जिससे वस्तुस्थिति बदल सके।
बीते रविवार तकरीबन दो घंटे चीनी विदेश मंत्री वांग यी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित दोभल के बीच कूटनीतिक बातचीत हुई, जिसके बाद ये कदम उठाया गया। बातचीत के दौरान इलाके में शांति और सौहार्द बनाये रखने के प्रयासों पर काफी जोर दिया गया। इसी के चलते भारतीय सेना और पीपुल्स लिब्ररेशन ऑर्मी पैट्रोलिंग प्वाइंट 14 (Galwan valley), पीपी -15, हॉट स्प्रिंग्स और फिंगर एरिया से पीछे हटी।
दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से एलएसी से पीछे हटने की प्रक्रिया में तेजी लाने की बात कही। साथ ही तयशुदा समय-सीमा के अन्दर चरणबद्ध तरीके से दोनों सेना वापस पीछे की ओर लौटेगी। इस दौरान भारत-चीन सीमाई इलाकों में शांति की स्थायी बहाली पुख़्ता करने के लिए आपसी बातचीत जारी रखेंगे। बीज़िग के मुखपत्र में छपे चीनी सरकार के बयान के मुताबिक- भारत और चीन के बीच बीते 30 जून को कमांडर स्त र पर हुई बातचीत के बाद, दोनों पक्ष सीमावर्ती इलाकों में सैन्य बलों को पीछे करने और उनकी तादाद कम करने के लिए कारगर कदम उठा रहे हैं।
कूटनीतिक मामलों के जानकारों के अनुसार चीन पर बढ़ते अन्तर्राष्ट्रीय दबाव, भारत द्वारा चीनी उत्पादों के बहिष्कार और गलवान घाटी में बदल रहे मौसमी मिज़ाजों की वज़ह से पीएलए को भारत की बात मनाने के लिए मजबूर होना पड़ा। आपसी सहमति के बावजूद दोनों ओर के एरिया कंमाडरों की निगरानी दोनों देशों की टीमों सीमाई इलाकों में तैनाती को लेकर फिजिकल वेरिफिकेशन करेगी। जिसकी रिपोर्ट के बाद सैन्य तनाव के बारे में पूरी जानकारी मिल पायेगी।
फिलहाल चीनी सेना के वाहन टेंट और दूसरे सामान उस इलाके से निकालते दिखे है। हालांकि, भारतीय और चीनी सैन्य बलों को पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। बावजूद इसके सामरिक मोर्चे पर आंशकाओं के बादल छाये हुए है। इसलिए भारत कोई भी कोताही नहीं बरतेगा।
मामले पर संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस भी भारत को अपने समर्थन का भरोसा दे चुके हैं। जल्द ही रूस से आने वाली S-400 और कमोव हेलीकॉप्टरों की खेप भारत की ताकत को काफी बढ़ा देगी।