Indo-China Relation: पैंगोंग त्सो झील के पास नई दिल्ली और बीजिंग ने बढ़ाये सैन्य ढांचे, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): भारत और चीन के बीच रिश्तों (Indo-China Relation) में 2020 के गलवान संघर्ष (Galwan Clash) के बाद खटास आ गयी। उस दौरान दोनों देशों के जवान आक्रामक तौर पर आमने-सामने आ गये थे, जिसके नतीज़न दोनों तरफ के कई सैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी। हालातों को शांत करने के लिये समय-समय पर कूटनीतिक बातचीत होती रहती है लेकिन तनाव बरकरार है क्योंकि सामने आया है कि पैंगोंग त्सो झील (Pangong Tso Lake) के आसपास के इलाकों में सैन्य गतिविधियां काफी बढ़ गयी हैं।

एक तरफ चीन ने पैंगोंग त्सो पर पुल निर्माण को पूरा करने के लिये कवायदें तेज कर दी हैं, जो कि उत्तर और दक्षिण तटों को जोड़ेगा। दूसरी ओर भारत उत्तरी किनारे पर अपनी तरफ सड़क बना कर रहा है। दोनों तरफ से बुनियादी ढांचे के विकास को काफी बढ़ाया गया है। फिंगर 4 की ओर ब्लैक टॉप वाली सड़क का निर्माण कार्य जारी है और इसके 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। नई दिल्ली की ओर से इलाके में बुनियादी ढांचे, सड़क नेटवर्क और हाई एल्टीट्यूड लैंडिंग ग्राउंड के निर्माण पर जोर दिया गया है।

दूसरी ओर सासेर ला के सड़क रास्ते के जरिये दारबुक-स्कयोक-दौलत बेग ओल्डी (Darbuk-Skyok-Daulat Beg Oldie) में भी सैन्य अड्डे बनाने का काम जोरों पर है। चीन की तरफ से अभी मुख्य पुल पर काम चल रहा है, जबकि दूसरा पुल पूरा हो चुका है और हाल ही में उत्तरी किनारे पर निर्माण सामग्री के साथ बड़े पैमाने पर निर्माण गतिविधि देखी गयी थी।

पिछले महीने छपी चैथमहाउस की रिपोर्ट (Chathamhouse Report) में दावा किया गया था कि अक्टूबर 2022 से लगातार छह महीनों तक ली गयी सैटेलाइट इमेज में देखा गया कि इलाके में चीनी पक्ष की ओर से बेहद कम समय में बड़े मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर खड़े किये गये है। अब इलाकों में चीनी सेना की मौजूदगी भारी तादाद में देखी जा सकती है, जहां गलवान झड़प से पहले कुछ ही पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA- People’s Liberation Army) के सिपाही दिखायी देते थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि उस खाल इलाके में चीन ने पीएलए सैनिकों की भारी तैनाती के लिये अनुकूल इको-सिस्टम लगभग पूरी तरह तैयार कर लिया है। सामने आयी सैटेलाइट इमेज में सड़कों, सैन्य चौकियों और आधुनिक मौसमरोधी शिविरों का लगातार फैलाव देखा गया है। इन इलाकों के पास ही पार्किंग एरिया, सौर पैनल और यहां तक कि हेलीपैड की सुविधा तैयार कर ली गयी है।

पिछले महीने भारतीय सीमा सड़क संगठन (BRO- Border Roads Organisation) ने दावा किया था कि उनके ज़वानों ने रिकॉर्ड 72 घंटों के भीतर अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले में टूटे डिटे डाइम-मिगिंग रोड (Dete Dime-Migging Road) पर कनेक्टिविटी बहाल कर दी है। सीमा सड़क कार्य बल (बीआरटीएफ) के कमांडिंग ऑफिसर ओ ताकी ने कहा कि भारी बारिश के बावजूद बीआरओ के जवानों ने सड़क डायवर्जन पूरा किया और 23 जून को सभी तरह के ट्रैफिक के लिये इस सामरिक सड़क को खोल दिया।

कुल मिलाकर भारत ने कई अहम परियोजनाओं के साथ चीनी बुनियादी ढांचे के काम पर अच्छी प्रतिक्रिया दी है क्योंकि रिपोर्ट में आगे जिक्र किया गया है कि सेना की उत्तरी कमान ने इलाके में ब्लॉकिंग फोर्सिस को तैनात किया है जो कि चीनी कवायदों से मेल खाते हैं और ये किसी भी घुसपैठ को रोकेंगे।

बता दे कि खासतौर चैथमहाउस रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि भारतीय सेना ने कई पहाड़ों की चोटियों पर भी कब्जा कर लिया है, जिसके नतीज़न संवेदनशील सैन्य इलाकों से चीनी सेना की वापसी हुई है, जिनमें से ज्यादातर पैंगोंग त्सो के आसपास के इलाके हैं।

दूसरी ओर बीते अप्रैल महीने में एक रिपोर्ट से पता चला कि बीजिंग अंटार्कटिक में अपनी हरकतों को लगातार बढ़ा रहा है। वाशिंगटन के थिंक टैंक ने नई उपग्रह इमेजरी के आधार पर जानकारी इकट्ठा की है, जो कि बताती है कि दक्षिणी ध्रुवीय इलाके में चीन के पांचवें स्टेशन पर 2018 के बाद पहली बार निर्माण कार्य फिर से शुरू हो गया है। सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआईएस) की ओर से जारी रिपोर्ट से पता चला है कि चीन निर्माण में कई सालों के लंबे अंतराल के बाद अंटार्कटिका में अहम बढ़त हासिल करने की कोशिश में लगा हुआ है।

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